खबरें अभी तक। केजरीवाल सरकार की योजना अमल में आई तो दिल्ली के लोगों को महंगी दवाओं के बोझ से राहत मिल सकती है. दिल्ली सरकार दवाओं, मेडिकल उपभोग आइटम और निदान सुविधाओं की ऊपरी कीमत की एक सीमा तय करने की तैयारी कर रही है. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसा एक प्रस्ताव रखा है जिसके मुताबिक इन चीजों की उच्चतम कीमत क्या हो सकती है, इसका निर्धारण एक्सपर्ट करेंगे. इससे दिल्ली में दवाएं काफी सस्ती हो जाएंगीं.
योजना के अनुसार दवाओं का अधिकतम खुदरा मूल्य खरीद कीमत के 40 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा. इसी तरह, डायग्नोस्टिक सुविधाओं में किसी भी टेस्ट के लिए प्रॉफिट अधिकतम 15 फीसदी तय किया जाएगा.
राज्य सरकार ने इसके लिए एक नौ सदस्यीय समिति बनाई है, जिसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, दिल्ली मेडिकल ऐसोसिएशन और प्राइवेट हॉस्पिटल एसोसिएशन के कई सदस्य शामिल हैं. इसमें दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के तीन मेडिकल सुपरिन्टेंडेंट और नर्सिंग सुपरिन्टेंडेन्ट भी हैं और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (DGHS) भी हैं. समिति ने इस बारे में अपनी रिपोर्ट दे दी है.
यह रिपोर्ट मंजूरी के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के पास भेजी गई है. DGHS डॉ. कीर्ति भूषण ने मेल टुडे को बताया, ‘हाल में फोर्टिस अस्पताल द्वारा काफी बढ़ा-चढ़ा कर बिल लेने के बाद हमने यह कदम उठाया है. नौ सदस्यीय समिति ने यह तय किया है कि दवाओं और कज्यूमेबल्स की खरीद कीमत से उनकी बिक्री कीमत में 40 फीसदी से ज्यादा का अंतर नहीं होगा. अस्पतालों को सभी दवाओं की खरीद कीमत को सार्वजनिक करना होगा.’
गौरतलब है कि ऐसी 450 दवाओं को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल किया गया है. भूषण ने कहा, ‘इन दवाओं में सभी बीमारियां कवर हो जाती हैं. लेकिन यदि किसी डॉक्टर को लगता है कि मरीजों का जीवन बचाने के लिए सूची से बाहर की कोई दवा देनी जरूरी है तो वह ऐसा कर सकता है.’