28 को होंगे सेवामुक्त,1 बार तबादले का दंश झेल चुके हैं IAS कासनी

खबरें अभी तक। आई.ए.एस. अधिकारी प्रदीप कासनी 28 फरवरी को सेवा मुक्त हो जाएंगे। करीब 34 साल की नौकरी में प्रदीप कासनी को 71 बार तबादले का दंश झेलना पड़ा। सबसे ज्यादा तबादला पूर्व की हुड्डा सरकार में हुआ। खट्टर सरकार के साढ़े 3 साल के कार्यकाल में सितम्बर 2016 में एक महीने के अंदर 3 बार कासनी का तबादला किया गया जो उन्हें हमेशा याद रहेगा।

हालांकि अक्तूबर 2015 में खट्टर सरकार आने के बाद कासनी को अहम पदों पर तैनाती की उम्मीद थी लेकिन गुरुग्राम मंडल कमिश्नर की नियुक्ति के बाद वह धराशायी हो गई थे।

आई.ए.एस. कासनी लैंड यूज बोर्ड के जिस ओ.एस.डी. पद से सेवानिवृत्त होंगे, सरकार के रिकार्ड में उस पद का कोई अस्तित्व ही नहीं है। अपनी सर्विस की आखिरी पोस्टिंग में कासनी को इस पद पर न तो सरकारी गाड़ी मिली और न ही चपड़ासी।

सरकारी सिस्टम से परेशान कासनी ने इस तबादले के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की शरण ली जहां पर 8 मार्च को सुनवाई है। वेतन के लिए भी कासनी को हाईकोर्ट जाना पड़ा। कासनी का कहना है कि 34 वर्षों की नौकरी में यह पोस्टिंग हमेशा याद रहेगी और इसके खिलाफ वह कैट में लड़ाई भी लड़ेंगे, ताकि दूसरे अफसरों के खिलाफ ऐसी पोस्टिंग देने की सरकार की हिम्मत न पड़े।

हरियाणा के आई.ए.एस. अफसर प्रदीप कासनी कई मामलों से चर्चाओं में रहे। पूर्व की हुड्डा सरकार में सेवा के अधिकार आयोग के सदस्यों की नियुक्ति पर सवाल उठाने के मामले में कासनी चर्चा में आए थे।

सेवामुक्त होने के बाद व्यवस्था के खिलाफ हुंकार भरेंगे कासनी
28 फरवरी को सेवामुक्त होने के बाद प्रदीप कासनी सरकारी व्यवस्था के खिलाफ आवाज बुलंद कर सकते हैं। हालांकि सेवा में रहते हुए भी कासनी ने कई मौकों पर सरकार से सीधी लड़ाई लड़ी लेकिन सर्विस से आजाद होने के बाद अब वह नया धमाका कर सकते हैं। बातचीत में कासनी ने इस बात के संकेत भी दिए कि भविष्य में कई खुलासे किए जाएंगे।

टूट जाएगी खेमका और कासनी की जोड़ी
आई.ए.एस. प्रदीप कासनी की खास दोस्ती हरियाणा के वरिष्ठ आई.ए.एस. अशोक खेमका के साथ रही है। वाड्रा-डी.एल.एफ. लैंड रद्द करने के बाद तत्कालीन हुड्डा सरकार के निशाने पर आए खेमका को कासनी का काफी सहारा मिला था। प्रदेश में यही ऐसे 2 अफसर सामने आए जिन्हें हुड्डा सरकार में बार-बार तबादले का दंश झेलना पड़ा था।