किसान परेशान,हिमाचल में कृषि उपज को 96 करोड़ का नुक्सान

थबरें अभी तक। सूखे के कारण रबी फसलों को 96 करोड़ से ज्यादा का नुक्सान हुआ है। अकेले गेहंू की फसल को 54 करोड़ से ज्यादा की क्षति हुई है। कृषि विभाग के मुताबिक सब्जियों को 34 करोड़ और विभिन्न दालों व सीड-ऑयल को 8 करोड़ से ज्यादा का नुक्सान आंका गया है। कृषि विभाग ने नुक्सान की रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी है। जयराम सरकार इसे मुआवजे के लिए केंद्र को भेजने जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार गेहंू की फसल को कांगड़ा, मंडी और ऊना जिला में ज्यादा नुक्सान हुआ है, जबकि नकदी फसलों पर शिमला और सोलन जिला में अधिक असर देखा गया है।

4 माह से ज्यादा समय से सूखे जैसी स्थिति 
सूखे के कारण किसानों पर छाए चिंता के बादल छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं। किसान 4 माह से ज्यादा समय से सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहे हैं। विंटर सीजन (एक जनवरी से 23 फरवरी) में 77 फीसदी कम बारिश हुई है। 12 दिसम्बर को हल्की बारिश हुई तो जाकर किसानों ने करीब एक माह की देरी से गेहूं की बुवाई की। दिसम्बर, 2017 में भी 95 फीसदी कम बारिश हुई। सूखे जैसे हालात को देखते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने 23 जनवरी को विभिन्न विभागों की समीक्षा बैठक ली थी।

नुक्सान की ताजा रिपोर्ट तैयार 
सरकार के निर्देशों पर कृषि विभाग ने नुक्सान की ताजा रिपोर्ट तैयार कर ली है। बीते 23 जनवरी तक कृषि उपज को 34 करोड़ और उद्यान उपज को 2.34 करोड़ का नुक्सान आंका गया था। प्रदेश में चालू सप्ताह में 100 फीसदी कम मेघ बरसे हैं, ऐसे में यदि आने वाले दिनों में बारिश-बर्फबारी नहीं होती, तो कुछ समय बाद नुक्सान का यह आंकड़़ा ओर बढ़ेगा।

किसान आसमान की ओर देखने को मजबूर
सरकार द्वारा कृषि योजनाओं पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी किसान आसमान की ओर देखकर खेतीबाड़ी करते हैं। यानी बारिश हो तो ही किसान की फसल तैयार हो पाती है। सूखे में हरी-भरी फसलें खेतों में ही दम तोड़ देती हैं क्योंकि प्रदेश में आज भी कृषि के अधीन 82 फीसदी क्षेत्र पर फसलें बारिश के पानी पर निर्भर करती हैं।