भारत में गरीब बन रहे और गरीब, अमीरों की संपत्ति देश की GDP को दे रही टक्कर

खबरें अभी तक। भारत में पिछले तीन दशकों में असमानता के हालात और बिगड़े हैं। यह इतनी बढ़ गई है कि अरबपतियों की कुल संपत्ति देश की जीडीपी की 15 फीसद के बराबर हो गई है। माना जा रहा है कि सरकारों की असंतुलित नीतियों की वजह से ये हालात बने हैं। ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में देश में 101 अरबपति बने। भ्रष्टाचार व विरासत के दम पर जमा कर रहे संपदा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के अमीर क्रोनी कैपिटलिज्म (भ्रष्टाचार) और विरासत में मिली संपत्ति के दम पर अकूत दौलत जुटा रहे हैं, जबकि निचले पायदान पर मौजूद लोग और नीचे खिसक रहे हैं।

1991 के उदारीकरण का नतीजा है असमानता-

ऑक्सफैम इंडिया की सीईओ निशा अग्रवाल ने कहा, ‘यह असमानता 1991 में शुरू किए गए व्यापक उदारीकरण और उसके बाद घोषित सुधार पैकेजों और उनके बाद अपनाई गई नीतियों का नतीजा है।’

पांच साल में जायदाद में 5 फीसदी इजाफा-

नवीनतम अनुमान के अनुसार देश के कुल अरबपतियों की जायदाद जीडीपी के 15 फीसदी के बराबर हो गई है। जबकि पांच साल पहले यह 10 फीसदी थी। यानी पिछले पांच साल में इनकी दौलत पांच फीसदी बढ़ गई। 2017 में भारत में 101 अरबपति थे।

विश्व के सबसे असमान देशों में शुमार ‘बढ़ती खाई’

भारतीय असमानता रिपोर्ट 2018 में कहा गया है कि भारत विश्व के सबसे असमान देशों में से एक है। यह स्थिति सारे पैमानों- आय, खपत व संपत्ति के मामले में है। विभिन्न सरकारों द्वारा ऐसी नीतियां बनाई गई, जिसमें श्रम की बजाए पूंजी को प्रधानता दी गई। अकुशल की बजाए कुशल श्रमिकों को तवज्जो दी जाने लगी। 1980 के दशक तक भारत में असमानता में घट-बढ़ नहीं थी, लेकिन 1991 के बाद से यह बढ़ी और 2017 तक इसमें लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है।