भिलाई स्टील प्लांट की एक भट्ठी से भारत-रूस के रिश्तों की नींव और हुई मजबूत

खबरें अभी तक। 1947 में जब भारत को अंग्रजों की गुलामी से आजादी मिली उस समय वैश्विक स्तर पर दुनिया दो गुटों में बंट चुकी थी। भारत के सामने दो विकल्प था या तो वा अमेरिकी गुट का हिस्सा बने या रूस के पाले में अपने मुस्तकबिल को संवारे । लेकिन भारत ने साफ किया कि वो किसी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा। दोनों गुटों से इतर भारत ने गुट निरपेक्ष आंदोलन का अगुवा बना। लेकिन व्यवहारिक तौर पर भारत का झुकाव रूस की तरफ है। पंचवर्षीय योजनाओं के जरिए नए भारत की नींव रखी जा रही थी जिसमें भारी उद्योग पर बढ़ावा देने का फैसला किया गया। देश के अलग अलग हिस्सों में स्टील उद्योग की आधारशिला रखी जा रही थी। उनमें से ही एक था भिलाई स्टील प्लांट। भिलाई स्टील प्लांट की स्थापना रूस की मदद से की गई जिसका अपना रोचक इतिहास है।

भारत-रूस मैत्री पैगाम-

भारत- रूस मैत्री के 70 साल होने के उपलक्ष्य में इंडिया-रशिया फ्रेंडशिप मोटर रैली 20 फरवरी को भिलाई से रवाना हुई। मित्रता का पैगाम देते हुए रैली 14 मई को मास्को पहुंचेगी। रैली उन सभी कारखानों, पॉवर प्लांट, स्मारकों पर भी जाएगी, जो रूस के सहयोग से बने हैं। जशपुर के सांसद रणविजय सिंह जूदेव और भिलाई इस्पात संयंत्र के सीईओ एम रवि ने मेनगेट से फ्लैग ऑफ किया। आठ रशियन, दो थाइलैंड और 30 भारतीय दस कार के जरिए रांची के लिए रवाना हुए। रायपुर में सीएम रमन सिंह ने इस रैली को झंडी दिखाकर रवाना किया।