नई परिवहन नीति से झटका, पंजाब में थम जाएंगे हजारों बसों के पहिये

खबरें अभी तक। पंजाब सरकार की ओर से नई ट्रांसपोर्ट नीति का नोटिफिकेशन आज जारी कर दिया जाएगा। इसे लेकर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से सीएमओ व ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों के साथ अपने सरकारी निवास पर विशेष बैठक की गई है। इससे राज्‍य में हजारों बसों के पहिये थम जाएंगे।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार इस बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनी कि ट्रांसपोर्ट विभाग की ओर से नई ट्रांसपोर्ट पॉलिसी का नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। नई नीति के तहत पंजाब में निजी बस चालकों की मनोपली खत्म हो जाएगी। बता दें कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से पंजाब सरकार को सात हजार बस रूट परमिट और दो हजार रूट एक्टेंशन रद करने के आदेश दिए गए थे।

नई ट्रा्ंसपोर्ट नीति का नोटिफिकेशन आज, कई राजनीतिक हस्तियों को पहुंच सकता है धक्का

पिछली सरकार के दौरान मोटर व्हीकल एक्ट 1988 का बड़े पैमाने पर उल्लंघन कर सरकार में शामिल ताकतवर लोगों के ट्रांसपोर्ट कारोबार को तरजीह देने के लिए निजी बसों का परमिट और रूट एक्सटेंड कर दिए थे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ दो लोगों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाए थे कि ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारी ट्रांसपोर्ट कारोबार में माफिया और सियासी नेताओं से मिलीभगत करके परमिट जारी कर रहे हैं, जिसके तहत सात हजार से ज्यादा रूट परमिट और रूट एक्सटेंशन दिए गए हैं।

हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार पंजाब सरकार ने नई ट्रांसपोर्ट नीति 17 जुलाई को हाईकोर्ट में पेश कर दी थी। इसके लागू होने से स्टेट ट्रांसपोर्ट यानी पंजाब रोडवेज को बड़ा लाभ मिलेगा। नई पॉलिसी के तहत मनोपली रूट और अंतरराज्जीय रूट पर सौ फीसद स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसें ही चलेंगी।

नेशनल हाईवे पर सरकारी और निजी बसों का अनुपात 50-50 फीसद और स्टेट हाईवे, जिले की मुख्य सड़कों सहित अन्य सड़कों पर ये अनुपात 60-40 का रहेगा। यानी रोडवेज की बसें 40 फीसद और निजी बसें 60 फीसद तक चल सकेंगी। जबकि पहले घाटे वाले रूट पर सरकारी बसें ही चलती थीं। नई पॉलिसी लागू होने से बादल परिवार की मलकीयत या हिस्सेदारी वाली कंपनियों जुझार कंस्ट्रक्शन एंड ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड, आर्बिट एविएशन और डबवाली ट्रांसपोर्ट कंपनी से संबंधित कई बसों के परमिट रद करने की कार्रवाई स्वाभाविक है।

ऐसे बढ़ते गए किलोमीटर

अकाली भाजपा सरकार के दस सालों के कार्यकाल के दौरान किलोमीटरों में तीन से चार बार बढ़ोतरी की गई। इसके अलावा परमिट की मलकीयत भी आगे से आगे बढ़ाकर तीन-चार बार बदल दी गई। उदाहरण के तौर पर भाई घनैया को-ऑपरेटिव ट्रांसपोर्ट सोसायटी जालंधर का परमिट जालंधर से चंडीगढ़ (वाया रोपड़-नवांशहर) था। यह परमिट न्यू दीप बस ने खरीद लिया और 5 सितंबर 2008 को रूट के किलोमीटर में कपूरथला की बढ़ोतरी कर दी गई। वहीं 23 अक्टूबर 2009 में किलोमीटर में ये बढ़ोतरी फत्तू ढींगरा तक कर दी गई।

इसके बाद परमिट ताज ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड बठिंडा ने खरीद लिया और फत्तू ढींगरा से जालंधर तक किलोमीटर में और बढ़ोतरी कर दी गई। अंत में चौथी बार ये परमिट आर्बिट एविएशन प्राइवेट लिमिटेड बठिंडा ने खरीद लिया और जालंधर से बस सीधी चंडीगढ़ तक पहुंची।

पिछले करीब एक दशक में परमिट बादल परिवार की मलकीयत वाली कंपनियों की ओर से खरीदे गए और बार-बार किलोमीटरों में बढ़ोतरी की गई। जबकि ट्रांसपोर्ट नियमों के अनुसार परमिट को आगे बेचा नहीं जा सकता। एक बार में परमिट में 25 किलोमीटर की बढ़ोतरी की जा सकती है। लेकिन नियमों की अनदेखी करके बार-बार परमिट में बढ़ोतरी की गई। जब ये मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नई ट्रांसपोर्ट नीति बनाने के आदेश जारी कर दिए।