नेताओं पर हो जनता का अंकुश, कोई भी पार्टी ठीक नहीं

खबरें अभी तक। गांधीवादी नेता अन्ना हजारे ने रविवार काे यहां राजनीतिक दलों पर हमले किए और मोदी सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए। उन्‍होंने कहा कि देश में कोई भी राजनीतिक दल ठीक नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली से देश में लोकतंत्र को खतरा है। देश में सभी नेताओं पर जनता का अंकुश रहना चाहिए। उन्होंने सतलुज यमुना संपर्क नहर पर पंजाब की सरकारपर भी हमला किया। उन्‍होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के एसवाईएल नहर बनाने के आदेश हैं, लेकिन एक सरकार इसी नहीं मान रही है।यह कैसी व्‍यवस्‍था और कैसी सरकार हैं।

एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू न करना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा

वह यहां रविवार को हुड्डा ग्राउंड में आयोजित किसान-जवान महासम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि लोकपाल कानून को लेकर मोदी सरकार को दो बार सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई। 27 जुलाई 2016 को लोकपाल बिल लोकसभा में रखा और बिना किसी चर्चा के एक दिन में पास कर दिया।

पीएम मोदी की कार्यशैली पर उठाए सवाल, लोकतंत्र को बताया खतरा

उन्‍होंने कहा कि 28 जुलाई को राज्य सभा में बिल पास हो गया और तीन दिन में इस पर कानून बन गया। दोनों सदनों में बिल पर चर्चा न होना, यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। पहले यूपीए सरकार ने लोकपाल को कमजोर किया और अब वर्तमान सरकार ने तो और ज्यादा कमजोर करने का काम किया है।

कालाधन मामले पर अन्ना ने कहा कि ये सरकार सिर्फ बोलती है लेकिन करती कुछ नहीं। चुनाव के समय वादा किया था कि हर नागरिक के खाते में 15-15 लाख रुपये आएंगे, 15 रुपये भी नहीं आए। भ्रष्टाचार मुक्त भारत की बात करने वाली इस सरकार ने संपत्ति सार्वजनिक करने का बिल यह कहकर पास नहीं किया कि इसकी अभी जरूरत नहीं है। इस तरह से भ्रष्ट अधिकारियों को सीधे-सीधे रास्ता दे दिया गया है।

उन्होंने कहा कि ये सरकार जिस तरह काम कर रही है, उससे देश हुकम तंत्र की ओर जा रहा है। कश्मीर मुद्दे पर अन्ना ने कहा कि मसला बातचीत से हल करना चाहिए। मगर यदि पाकिस्तान नहीं मानता है तो एक बार आर या पार हो ही जाना चाहिए।

कोई राजनीतिक दल ठीक नहीं

राजनीतिक दलों के बारे में चर्चा करते हुए अन्ना हजारे ने कहा कि कोई राजनीतिक दल ठीक नहीं है। नरेंद्र मोदी व राहुल गांधी जैसे नेताओं पर जब तक जनता का दबाव नहीं होगा, ये लोग ठीक से काम नहीं करेंगे। उन्होंने रिकॉल कानून की पैरवी की। उन्‍होंने कहा कि हमने मांग की थी कि यदि एक भी उम्मीदवार जनता की पसंद का नहीं है तो सभी को नापसंद करने का अधिकार जनता के पास होना चाहिए, ताकि राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार जनता की पसंद के अनुसार बदलने पर मजबूर हों। लेकिन इसके बदले नोटा का विकल्‍प दे दिया गया। उससे कोई सुधार नहीं हो सकता है।