एक और खुलासा: रोटोमैक के मालिक ने बैंकों को लगाई 3000 करोड़ की चपत

खबरें अभी तक। पंजाब नेशनल बैंक के करीब ग्यारह हजार करोड़ डूबने के बाद भी राष्ट्रीयकृत बैंकों ने अभी कोई सबक नहीं लिया है. उत्तर प्रदेश के बिजनेस हब माने जानेवाले कानपुर शहर में एक ऐसा ही मामला हाथ से निकल जाने के इंतजार में है. कानपुर के व्यापारी विक्रम कोठारी पर आरोप है कि उनपर पांच राष्ट्रीय बैंकों की करीब 3००० करोड़ की देनदारी है और कोठारी ने इस उधारी का कोई भी पैसा नहीं वापस किया. इसके बावजूद ना सिर्फ कोठारी खुलेआम घूम रहे हैं बल्कि उनके बिजनेस भी बदस्तूर चल रहे हैं.

मुंबई के नीरव मोदी से थोड़ा अलग विक्रम कोठारी पर आरोप है कि इन्होंने बैंक के आला अधिकारियों के साथ मिली भगत करके अपनी सम्पत्तियों की कीमत ज्यादा दिखाकर उनपर करोड़ों का लोन लिया और फिर उन्हें चुकता करने से मुकर गये. विक्रम कोठारी रोटोमैक पेंस के मालिक हैं और कानपुर के पॉश तिलक नगर इलाके मे आलीशान बंगले मे रहते हैं.

विक्रम कोठारी ने 2012  में अपनी कंपनी रोटोमैक के नाम पर सबसे पहले इलाहबाद बैंक से 375 करोड़ का लोन लिया था. इसके बाद यूनियन बैंक से 432 करोड़ का लोन लिया. इतना ही नहीं विक्रम कोठारी ने इंडियन ओवरसीज बैंक से 1400 करोड़, बैंक ऑफ इण्डिया से लगभग 1300 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा से 600 करोड़ रुपये का लोन लिया, लेकिन किसी बैंक का लोन चुकता नहीं किया. आरोप है कि बैंक अधिकारियों की मिली भगत से विक्रम कोठारी बैंको का लगभग तीन हजार करोड़ रुपया दबा कर बैठ गए. उनकी रोटोमैक कम्पनी पर भी ताला लग गया. बैंकों ने विक्रम कोठारी के सभी लोन के सभी खातों को एनपीए घोषित कर दिया.

आरोपो के बारे में हमने विक्रम कोठारी के घर पर बात करने की कोशिश की. लेकिन घर और ऑफिस कहीं भी कोई बात करने को तैयार नहीं हुआ. कानपुर में जब हमने यूनियन बैंक के मैनेजर पीके अवस्थी से बात की तो उन्होंने बताया कि हमारी बैंक का 482 करोड़ रुपये विक्रम कोठारी पर बाकी हैं. हमारा यह लोन उन्होंने 2012 में लिया था. अब उनका खाता एनपीए हो गया है.  उनसे वसूली को हम लोग प्रयास कर रहे हैं.  वैसे उनके ऊपर कानपुर की चार बैंको का लगभग तीन हजार करोड़ के लगभग लोन बकाया है, जो एनपीए हो गया है.

 इस घोटाले पर जब बैंकों की आंख खुली तो उन्होंने अपने मुख्य कार्यालयों में जानकारी देकर मामले से पल्ला झाल लिया. लम्बा बक्त बीतने के बाद भी अभी तक बैंको ने कोई ऐसा ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे कि कोठारी पर शिकंजा कसा जा सके. सूत्रों के मुताबिक लोन के कुछ मामले मीडियेशन में जरूर चल रहे हैं,  जिसके चलते बैंक ने कोठारी की जमीने अटैच की हैं और सौ करोड़ रुपये के लोन की रिकवरी की है. विक्रम कोठारी के ऊपर लोन की एवज में जाहिर रूप से इतनी सम्पत्ति नहीं है कि जिससे पूरा लोन चुकता हो सके. जाहिर है एक बार फिर बैंक अधिकारियों और जालसाजों के गठजोड़ से करोड़ों रुपये डूबनेवाले हैं.