कश्मीर पर आखिर सरदार पटेल चाहते क्या थे!

खबरें अभी तक। कश्मीर समस्या के संबंध में अक्सर सरदार वल्लभ भाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू को लेकर अलग-अलग तरह की बातें होती रही हैं. आमतौर पर ये पटेल कश्मीर को लेकर न तो बहुत मुखर थे और न ही उन्होंने इस पर कुछ ज्यादा बोला है, लेकिन ये एक बड़ा सवाल बनता जा रहा है कि वो कश्मीर को लेकर वाकई क्या सोचते थे. उन्होंने इसे लेकर कुछ ख़त लिखे थे, जिससे अंदाज लग सकता है कि इस बारे में वो खुद क्या सोचते थे.
कश्मीर को लेकर फरवरी के पहले हफ्ते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर हमला किया. उन्होंने कहा, “अगर सरदार पटेल देश के पहले प्रधानमंत्री होते तो कश्मीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के पास नहीं होता.”
आखिर पटेल कश्मीर के बारे में क्या सोचते थे. उन्होंने कहा था कि ये ऐसी समस्या है, जिसने उन्हें सिरदर्द दिया है. इस बारे में उन्होंने कभी ज्यादा नहीं बोला. आजादी के दौरान मीटिंग या लोगों से मुलाकात में उन्होंने कश्मीर पर क्या कहा, वो कई किताबों में उद्धृत किया जा चुका है. इसके साथ ही उनके वो  आधिकारिक और अनाधिकारिक खतो-किताबत भी है, जिसमें अक्सर उन्होंने इस पर अपने विचार जाहिर किए हैं.
 माउंटबेटन ने हरी सिंह से कहा था-
आजादी से दो महीने पहले 18 जून से 23 जून 1947 के बीच कश्मीर का दौरा करते हुए लार्ड माउंटबेटन ने महाराजा हरी सिंह से कहा, “अगर कश्मीर पाकिस्तान में जाता है, तो भारत सरकार इसे गैरदोस्ताना नहीं मानेगी.”
वाइसराय ने आगे कहा, “उन्हें इस बारे में सरदार पटेल ने खुद दृढ भरोसा दिया है.” ये बात माउंटबेटन के पूर्व राजनीतिक सलाहकार वीपी मेनन ने अपनी किताब “मेननः इटीग्रेशन ऑफ द इंडियन स्टेट” में पेज नंबर 395 पर लिखी. मेनन वो शख्स थे, जिन्होंने इंडियन इंडिपेंडेंस बिल का मसौदा तैयार करने के साथ पटेल के साथ मिलकर रियासतों के विलय में मुख्य भूमिका अदा की थी.