खबरें अभी तक। हर साल वेलेंटाइन डे के आसपास एक मैसेज वायरल होता है, जिसमें कहा जाता है कि 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के रूप में नहीं, बल्कि भगत सिंह की याद में मनाया जाना चाहिए. कहा जाता है कि 1 फरवरी 1931 को महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर के एक जेल में फांसी दी गई थी. साथ ही कई मैसेज में इस दिन भगत सिंह को फांसी सुनाए जाने का जिक्र होता है. हालांकि आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले ये मैसेज गलत है.
23 मार्च को हुई थी फांसी
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 14 फरवरी को फांसी नहीं दी गई थी, बल्कि उन्हें 23 मार्च को फांसी पर लटकाया गया था. 23 मार्च को पूरा देश शहीदी दिवस के रूप में भी मनाया है. कई रिपोर्ट्स में यह जिक्र जरूर है कि इन तीन महान क्रांतिकारियों को फांसी देने की तारीख 24 मार्च 1931 तय की गई थी, लेकिन अचानक ही उनकी फांसी का समय बदल कर 11 घंटे पहले कर दिया गया और 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में शाम 7:30 बजे उन्हें फांसी दे दी गई.
इस दिन सुनाई गई सजा
क्या है 14 फरवरी से रिश्ता
कई इतिहास के जानकारों का कहना है कि 14 फरवरी से भगत सिंह का रिश्ता ये है कि 14 फरवरी 1931 को मदन मोहन मालवीय जी ने फांसी से ठीक 41 दिन पहले एक मर्सी पिटीशन ब्रिटिश भारत के वायसराय लॉर्ड इरविन के दफ्तर में डाली थी, जिसको इरविन ने खारिज कर दिया था. हालांकि कई रिपोर्ट्स का कहना है कि इतिहास में ऐसे भी किसी दावे की पुष्टि नहीं होती.