कर्ज के बोझ का प्रबंधन RBI की जगह स्वतंत्र ऑफिस के हाथों में हो: नीति आयोग

खबरें अभी तक। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने रविवार को कहा कि कर्जों के बेहतर प्रबंधन के जरिए देश पर ब्याज भुगतान के बोझ को एक हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए देश पर कर्ज के बोझ का प्रबंधन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की जगह एक स्वतंत्र ऑफिस के हाथों में देने की उन्होने पुरजोर वकालत की है।

वर्तमान में सरकार के सभी तरह के कर्जों का प्रबंधन आरबीआई करता है। कुमार ने कहा कि देश के कर्ज के बेहतर प्रबंधन के बारे में गंभीरता से सोचने और इसे एक स्वतंत्र संस्था को सौंपने का वक्त आ गया है। उनका कहना था कि “राजस्व खर्च में कर्ज पर ब्याज भुगतान की हिस्सेदारी बहुत बड़ी है। अगर कर्ज प्रबंधन ठीक से हो सके, तो ब्याज भुगतान पर खर्च के मद में एक बड़ा हिस्सा बचाया जा सकता है। आरबीआई द्वारा देश के कर्ज प्रबंधन से हितों के टकराव की स्थिति बनती है।”

बजट 2018 में घोषित की गई मेगा हेल्थकेयर स्कीम की तमाम आलोचनाओं को खारिज करते हुए नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने इसे गेमचेंजर बताया और कहा कि एक फीसद का एडिशनल सेस इसकी फंडिंग जरूरतों के लिए पर्याप्त होगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2018-19 में नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (NHPS) की घोषणा की थी इसके तहत 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाना है। इस बात पर अफसोस जताते हुए कि मोदी सरकार की महत्वकांक्षी योजना के खिलाफ आधारहीन और झूठा दुष्प्रचार किया जा रहा है उन्होंने कहा कि यह एक गेमचेंजर है। आपको बता दें कि पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने इस प्रस्ताव को ‘जुमला’ करार दिया जिसके लिए बजट में कोई पैसा आवंटित नहीं किया गया है।