इस खिलाड़ी ने खेला है नेशनल फुटबॉल टूर्नामेंट, लड़कों के साथ खेलती है फुटबॉल

खबरें अभी तक। खेल और खिलाड़ी का ना कोई महजब होता है, ना ही कोई लिंगभेद. बस खिलाड़ी में दम होना चाहिए. और कुछ ऐसा ही दम दिखा रही है मंडी की 18 वर्षीय खिलाड़ी फिजा, जिसके खेल पर हर कोई फिदा हो रहा है. 18 साल की यह लड़की, लड़कों के साथ फुटबाल खेलती है. दो बार नेशनल फुटबाल खेल चुकी फिजा अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती है.

लडकों की टीम के बीच फुटबाल खेलते हुए देख सब चौंक जाते हैं. इसे फिजा की मजबूरी ही कहा जाएगा कि महिला फुटबालरों की कमी के कारण उसे प्रैक्टिस भी लड़कों के साथ करनी पड़ती है. स्थानीय मैचों के दौरान मैदान में लड़कों के साथ ही उतरना पड़ता है.

वल्लभ कालेज मंडी की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट : वल्लभ कालेज मंडी की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट फिजा दो बार नेशनल प्रतियोगिता खेल चुकी है. बीते साल फिजा ने जम्मू-कश्मीर के कटड़ा में आयोजित ओपन टूर्नामेंट में हिमाचल की महिला टीम से फुटबाल खेला तो हाल ही में उडीसा के कटक में आयोजित प्रतियोगिता में भी भाग लिया. फिजा पहले हॉकी खेलती थी, लेकिन टीवी पर फुटबाल देखकर क्रेज बढ़ गया और कुछ अलग करने की चाह ने हाथों से हॉकी छुडवाकर पैरों तले फुटबाल पहुंचा दिया.

परिवार की तरफ से फुटबाल खेलने में कोई मनाही नहीं : मूलतः उत्तर प्रदेश की रहने वाली फिजा के पिता कई वर्षों से मंडी में कारपेंटर का काम कर रहे हैं. फिजा का जन्म भी मंडी में ही हुआ है. मंडी जैसे क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के लोग काफी कम हैं, मगर फिजा को इस बात का जरा भी संकोच नहीं होता कि वह इस समुदाय से होकर भी कभी लडकों के साथ खेलती नजर आती है. फिजा का कहना है कि उसे इसके लिए परिवार का पूरा सहयोग मिल रहा है. परिवार की तरफ से फुटबाल खेलने में कोई मनाही नहीं है बल्कि परिवार वाले इसके लिए पूरा सहयोग कर रहे हैं. यही कारण है कि फिजा फुटबाल के मैदान में अपना नाम कमाने की सोच रही है.

आज लड़कियों का जमाना है : अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करना सपना फिजा का सपना है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करे. फिजा का कहना है कि आजकल लड़कियों का जमाना है और ऐसे में लडकियों को हर खेल गतिविधि में भाग लेना चाहिए.