अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: इतिहास भी गवाह है नारी के मुकाम का,राजनीति हो या फिर हो गायन हर क्षेत्र में नाम है सम्मान सा

ख़बरें अभी तक। भारतीय राजनीति के इतिहास के पन्नों को पलट कर देख लें या फिर वर्तमान राजनीति के क्षेत्र या फिर किसी अन्य क्षेत्र पर एक नजर डाल लें। आपको इससे ये तो मालूम हो ही जाएगा कि महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपने नाम का परचम लहराया है। इतिहास भी गवाह है कि महिलाओं की भागीदारी भी बराबर की रही है। चाहे वह राजनीति हो या व्यापार या फिर फिल्मी दुनिया हर और नारी के नाम का नारा है। आज महिला दिवस के इस खास मौके पर हम आपको कुछ एक क्षेत्र की ऐसी महिलाओं से रूबरू कराएंगे जो कि देश की बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। जिन्होंने वाकई महिला सशक्तिकरण के इस नारे को मजबूत बनाया है। तो चलिए करते है शुरूआत और जानते है इन महिलाओं के बारें में-

सोनिया गांधी- गांधी परिवार की इस बहू के बारें में कौन नही जानता जब 1997 में कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी संभाली तब कांग्रेस बुरी तरह बिखरी हुई थी। कुर्सी संभालते ही 1999 के लोकसभा चुनाव में सोनिया ने कांग्रेस को एक करने का प्रयास करना शुरू कर दिया। तमाम कोशिशों के बाद भी इन चुनावों में कांग्रेस को सत्ता नहीं मिली और सोनिया गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर चुनी गईं।  लेकिन फिर भी गांधी परिवार की इस बहु और कांग्रेस की कमान संभालनें वाली इस नारी ने हार नही मानी और आने वाले चुनावों के लिए सोनिया ने कांग्रेस को जोड़ा और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए जनसमर्थन हासिल किया। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में सोनिया गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग की सरकार बनी। सोनिया गांधी 1997 से आज तक कांग्रेस अध्यक्ष हैं। यह कांग्रेस पार्टी के 125 सालों के इतिहास में पहला मौका है, जब कोई इतने लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर बना रहा।

सुषमा स्वराज- यह वो नारी है जिसने आपातकाल के बाद दो बार हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में से 1977 से 79 के बीच राज्य की श्रम मन्त्री रह कर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मन्त्री बनने का रिकार्ड बनाया था। भाजपा में राष्ट्रीय मन्त्री बनने वाली पहली महिला सुषमा के नाम पर कई रिकार्ड दर्ज़ हैं। वे भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला हैं, वे कैबिनेट मन्त्री बनने वाली भी भाजपा की पहली महिला हैं। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमन्त्री थीं और भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी वे ही हैं। वर्ष 2014 में वे विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा की सांसद निर्वाचित हुई हैं और उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।

लता मंगेशकर- संगीत की दुनिया की वो महिला जिसने अपनी आवाज से पूरे फिल्मी जगत ही नही बल्कि पूरे देश की जनता को अपना कायल बना लिया था। जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। लता दीदी को भारत रत्न भी मिला है ।

प्रियंका चोपड़ा- भारतीय फिल्मी जगत की वो सुंदरी जिसने कभी खुद को देखकर सोचा भी नही था कि वो इस मुकाम को हासिल कर सकती है। आज पूरी दुनियाभर में मशहुर है। 18 जुलाई 1982 में जन्मी प्रियंका चोपड़ा भारतीय फिल्म अभिनेत्री, गायक और 2000 की मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की विजेता हैं। आज यहीं अभिनेत्री पूरे बॉलीवुड में सबसे ज्यादा वेतन पाने वाली महिलाओं में शुमार है। आज सिर्फ बॉलीवुड ही नही बल्कि हॉलीवुड तक में अपने नाम का परचम लहराने वाली इस अभिनेत्री ने अपनी कड़ी मेहनत से आज ये मुकाम हासिल किया है।

किरण मजूमदार-शॉ- 23 मार्च 1953 में जन्मी ये भारतीय महिला व्यवसायी, टेक्नोक्रेट, अन्वेषक और बायोकॉन की संस्थापक है, जो भारत के बंगलौर में एक अग्रणी जैव प्रौद्योगिकी संस्थान है। वे बायोकॉन लिमिटेड की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तथा सिनजीन इंटरनेशनल लिमिटेड और क्लिनिजीन इंटरनेशनल लिमिटेड की अध्यक्ष हैं। ये वो महिला है  जिसने व्यापार जगत में अपनी अच्छी खासी पहचान बनाई है। इस क्षेत्र में अपने अग्रणी कार्यों के लिए उन्होंने भारत सरकार से प्रतिष्ठित पद्मश्री (1989) और पद्म भूषण (2005) समेत कई पुरस्कार अर्जित किए हैं। जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके द्वारा लीक से हट कर किए गए कार्यों को कॉर्पोरेट दुनिया में बहुत ही सम्मान दिया गया है तथा इससे भारतीय उद्योग और बायोकॉन दोनों को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है।

कल्पना चावला- कल्पना चावला’, यह नाम सुनते ही देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। लेकिन 1 फरवरी 2003 को मिशन से लौटते वक्त अंतरिक्ष यान ‘कोलम्बिया’ के साथ हुए हादसे में अन्य छः क्रू मेंबर्स सहित उनकी भी मृत्यु हो गई।

अरुणिमा सिन्हा– उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर अंबेडकर नगर की अरुणिमा सिन्हा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। एक पैर नकली होने के बावजूद वे दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी-एवरेस्ट को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला पर्वतारोही अरुणिमा 2011 में लखनऊ से दिल्ली आते वक्त लुटेरों ने अरुणिमा को रेलगाड़ी से नीचे फेंक दिया था। दूसरी पटरी पर आ रही रेलगाड़ी की चपेट में आने के कारण अरुणिमा का एक पैर कट गया था। अरुणिमा कहती हैं कि कटा पांव उनकी कमजोरी था लेकिन उन्होंने उसे अपनी ताकत बनाई। परिस्थितियों को जीतकर उस मुकाम पर पहुंची हैं, जहां उन्होंने खुद को नारी शक्ति के अद्वितीय उदाहरण के तौर पर पेश किया है।

इस तरह से ना जानें और भी कितनी महिलाएं है जो कि देश ही नही बल्कि पुरी दुनिया में अपनी अलग ही पहचान बनाए हुए है। वो भी अपने काम,अपने हुनर के दम पर। आज देश में महिलाएं किसी से कम नही है। ना जानें कितनी ऐसी बेटियां, महिलाएं है,जिन्होंने ना जानें कैसा कैसा समय अपने जीवन में देखा है,लेकिन वो फिर भी हारी नही आगे बढ़ती रही। तो आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन उन महिलाओं को ख़बरें अभी तक का सलाम।