श्रीनगर सेंट्रल जेल में बंद आतंकी यूज़ करते है स्मार्टफोन, खाने में मिलता है कश्मीरी मटन

खबरें अभी तक। श्रीनगर सेंट्रल जेल में बंद पाकिस्तानी आतंकी नावेद जट्ट के फरार होने पर अचरज नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस जेल में सुरक्षा इंतजामों में जिस तरह की ढील है उससे ऐसा होना ही था. सच तो यह है कि यह जेल आतंकियों के लिए जन्नत जैसा है और यहां आतंकियों को इंटरनेट वाले स्मार्टफोन से लेकर कश्मीरी ‘वजवान’ मटन तक सब कुछ उपलब्ध हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर में यह दावा किया गया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार कश्मीर के सेंट्रल जेल में रहने वाले आतंकी पूरे मौज में रहते हैं. जेल उनके लिए जन्नत जैसा है, जहां इंटरनेट डेटा पैक के साथ स्मार्टफोन से लेकर उनके खान-पान और शौक की हर चीज मिल जाती है. इस जेल में कई खतरनाक आतंकी कैद हैं. जेल के सूत्रों के अनुसार इस जेल में रूलबुक का हर नियम-कायदा तोड़ा जा रहा है और राज्य प्रशासन या उच्चाधिकारियों का कोई हस्तक्षेप नहीं दिखता.

गौरतलब है कि श्रीनगर के श्रीमहाराजा हरिसिंह (SMHS) अस्पताल में मंगलवार दोपहर बड़ा आतंकी हमला हुआ. पुलिसवाले 6 आतंकियों को अस्पताल में चेकअप करवाने के लिए लाए थे. फायरिंग के दौरान एक लश्कर आतंकी अबु हंज़ुला उर्फ़ नावेद जट्ट फरार हो गया.

जेल में बंद आतंकी जारी करता है प्रेस रिलीज-

हाल यह है कि कश्मीरी मीडिया को अक्सर सेंट्रल जेल में बंद आतंकी कासिम फकतू उर्फ आशिक फकतू का प्रेस रिलीज मिल जाता है. यह खतरनाक आतंकी मानवाधिकार कार्यकर्ता एच.एन. वांगचू की हत्या करने के लिए जेल में बंद है.

जेल में बंद आतंकी बाबा बांटता है तावीज-

 सूत्रों के अनुसार जेल में बंद ऐसा ही एक खूंखार आतंकी अपने को बाबा बताता है और उसके दर्जनों भक्त जेल में उससे तावीज बनवाने आते हैं. जेल में बंद कई आतंकी धड़ल्ले से मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं और कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक के अपने तमाम साथियों से बात करते हैं. सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि कश्मीर में साल साल 2010 की अशांति की पूरी प्लानिंग जेल में ही बैठकर भारत विरोधी खतरनाक इस्लामी अलगाववादी मसरत आलम ने की थी और मोबाइल फोन से दिशानिर्देश दिया था.

आतंकियों की मदद करता था दस साल से जेल में तैनात फार्मासिस्ट-

सूत्रों के अनुसार फार्मासिस्ट मंसूर अहमद पिछले दस साल से सेंट्रल जेल में तैनात था और वह आतंकियों की सेहत दुरुस्त रखने में मदद करता था. जिस डॉक्टर जीनत निजामी ने नावेद जट्ट और पांच अन्य कैदियों को मेडिकल चेकअप के लिए एसएमएचएस अस्पताल भेजने के लिए रेफर किया था, वह तीन साल से ज्यादा समय से जेल की ड्यूटी पर हैं. घटना के बाद राज्य सरकार ने डॉक्टर निजामी और मंसूर अहमद को ड्यूटी से हटा दिया है.

हालांकि जेल सुपरिन्टेंडेंट अहमद राथर इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं. वे कहते हैं, ‘हम जेल मेन्यू का सख्ती से पालन करते हैं. जेल परिसर के भीतर किसी के मोबाइल फोन इस्तेमाल करने का सवाल ही नहीं है.’

गौरतलब है कि करीब दस साल पहले जब सीआरपीएफ ने इस जेल पर छापा डाला था तो उसे मटन काटने, कबाब बनाने के चाकू आदि हथियार और दर्जनों मोबाइल फोन मिले थे. लेकिन उसके बाद भी इस जेल की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया.