मेहमानों का सम्मान करने की परंपरा आज भी इस पहाड़ी क्षेत्रों में है कायम

ख़बरें अभी तक। मेहमानों का आज भी आदर जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में किया जाता है। घर में पहुंचा अनजान हो या अपना सभी की इज्जत की जाती है। लोगों का सम्मान करने की परंपरा आज भी पहाड़ी क्षेत्रों में कायम है यही नहीं इन दिनों गांव में पहुंच रहे मेहमानों को अपने पहाड़ी स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि देवभूमि हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। पहाड़ी व्यंजनों को खाने से मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है खासकर बर्फीले इलाके में तो पहाड़ी व्यंजनों को खाकर ठंड में भी काबू पाया जा सकता है।

जिला सिरमौर के पहाड़ी इलाकों में आज भी कई प्रकार के व्यंजन आज बनाए जाते हैं जैसे कि बिढोलिया, सिड़कु खुबले, बिच्छू बूटी की सब्जी, स्टॉले, अठारे की रोटी आदि इन इन दिनों पौष्टिक आहार व्यंजन बनाए जा रहे हैं। आज के दिन गांव में पहुंचे रिश्तेदार या मेहमानों को भरपूर खिलाय जा रहे हैं। मंगलवार को पहाड़ी क्षेत्र में पहली बार पहुंचे उपायुक्त सिरमौर को भी पहाड़ी व्यंजन खिलाय गए थे।

इन पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद चखकर उपायुक्त ने भी वहां के मौजूदा लोगों को धन्यवाद दिया, बता दें कि बिडोलिया और बिच्छू बूटी की सब्जी उपयुक्त सिरमौर एसडीएम खंड विकास अधिकारी अधिकारियों को खिलाई गई। इन दिनों सबसे ज्यादा बिच्छू बूटी की सब्जी और बिढोलिया ज्यादा बनाई जा रही है। क्योंकि इन दिनों पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होने की वजह से मौसम काफी ठंडा हो चुका है। जिस पर गांव में पहुंचे मेहमानों का मीट के साथ साथ इन पौष्टिक आहार व्यंजनों को भरपूर खिलाया जा रहा है।

बिढोलिया कितने प्रकार की बनाई जाती है

बिढोलिया पहाड़ी इलाकों में कई प्रकार की बनाई जाती है जैसे कि भांग जीरे की मीठी बिढोलिया व नमकीन बिढोलिया इसके अलावा माश की दाल की बिढोलिया बनाई जाती है इन बिढोलियो को गर्म पानी में उबालकर या तेल में फ्राई करके बनाई जाती है लेकिन सबसे ज्यादा जो पानी में उबालें बिढोलिया बनाई जाती हैं। वह काफी ताकतवर हालांकि खाने में ज्यादा स्वाद तेल में तली हुई लगती है।

बिढोलिया बनाने का क्या तरीका है

बीढोलिया बनाने के लिए काफी मेहनत गांव की महिलाओं को करनी पड़ती है इसे बनाने के लिए माश के दाल या भांग जीरे को सबसे पहले पत्थर के उपाय खूब पीसा जाता है ताकि इनके दाने बिल्कुल बारीक हो जाए लगभग घंटा दो घंटा इसे पीसने में लगते हैं जिसके बाद आटा गुंथकर इन्हें पराठे की तरह अंदर भरा जाता है। उसके बाद काफी देर तक तेल में या गर्म पानी में उबालकर बनाया जाता है घर में पहुंचे मेहमानों व रिश्तेदारों को घी के साथ परोसा जाता है।

गांव के बुद्धिजीवी वेद प्रकाश चौहान ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में माघी त्यौहार एक महीना चलता है इस दौरान जिला सिरमौर के पहाड़ी इलाकों में मेहमान का एक महीना आना जाना लगा रहता है। मेहमानों को मीठ के साथ-साथ पहाड़ी पौष्टिक व्यंजन भी खिलाए जाते हैं। जिसमें सबसे ज्यादा बिढोलिया बनाई जाती है शिलाई क्षेत्र में बिढोलिया सबसे ज्यादा फेमस व्यंजन है घर में तीन चार बार यह पौष्टिक व्यंजन बनाए जाते हैं। गांव में पहुंचे मेहमानों का आदर करके इन्हें घी के साथ मेहमानों को खिलाया जाता है।