ख़बरें अभी तक। हिमालय रीजन में सतलुज, चिनाब व रावी बेसिन झीले बनने से हिमाचल समेत पंजाब व जम्मू-कश्मीर पर पर संकट के बादल गहरा सकतें है। इन तीनों प्रमुख नदियों के बेसिन पर गलेशियरों के पिघलने से झीलों की तादाद और आकार में तेजी से वृद्धि हो रही है। विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रोद्योगिकी परिषद के क्लाइमेंट चेंज सेंटर शिमला द्वारा सैटेलाइट तस्वीरों से किए गए ताजा सर्वेक्षण में इसका खुलासा हुआ है।
नदियों के बेसिन पर झीलों की संख्या व आकार बढ़ना चिंताजनक
सतलुज बेसिन पर झीलों की संख्या में 16 प्रतिशत, चिनाब बेसिन पर 15 प्रतिशत तथा रावीबेसिन पर 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में सरकार को अलर्ट करने के साथ-साथ जुलाई से सितंबर महीने के बीच जरूरी एहतियात बरतने की अपील की गई है व झीले जिनका आकर और पानी का वॉल्यूम 10 हैक्टेयर से ज्यादा तक का आकार ले चुकी है, उनमें किसी भी तरह के बदलाव और रिसाव या टूट जाने से निचले क्षेत्रों में भारी तबाही का अंदेशा पैदा हो सकता है।
ग्लेशियरों के पिघलने से सतलुज, चिनाब व रावी बेसिन पर बनी झीले मचा सकती है तबाही
तापमान में निरंतर बढ़ोतरी के कारण दुनियाभर में ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है। इनके पिघलने से नदियों के उद्गम पर झीले बनती जा रही है। साल 2005 में तिब्बत के साथ बनी पारछू झील भी प्रदेश में भारी तबाही मचा चुकी है। उस दौरान जानी नुकसान के अलावा 800 करोड़ से अधिक की क्षति आंकी गई थी। ऐसे में नई बन रही झीले निकट भविष्य में भारी तबाही मचा सकती है।
हिमाचल की चार प्रमुख नदियों के बेसिन पर 2017 और 2018 में झीलों की संख्या
नदी बेसिन वर्ष 2017 वर्ष 2018
सतलुज 642 झीले 769 झीले
चिनाब 220 झीले 254 झीले
रावी 54 झीले 66 झीले
ब्यास 49 झीले 65 झीले
सतलुज बेसिन पर 769 में से 49 झीलों का आकार 10 हैक्टेयर से अधिक हो गया है। कुछेक झीलों का क्षेत्रफर तकरीबन 100 हैक्टेयर भी बताया जा रहा है। ऐसी झीले ही ज्यादा तबाही का कारण बन सकती है। 57 झीले 5 से 10 हैक्टेयर तथा 663 झीले 5 हैक्टेयर से कम क्षेत्र में है।
चिनाब बेसिन पर कुल 254 झीलों में से 4 का आकार 10 हैक्टेयर से ज्यादा, 10 झीले 5-10 हैक्टेयर तथा 240 झीले 5 हैक्टेयर से कम क्षेत्र में फैली हुई है।
रावी बेसिन पर कुल 66 झीलों में से 3 का आकार 10 हैक्टेयर से ज्यादा, 2 झीले 5-10 हैक्टेयर तथा 61 झीले 5 हैक्टेयर से कम क्षेत्र में फैली है।
ब्यास बेसिन पर 65 झीलों में से 3 झीले 10 हैक्टेयर से ज्यादा, 4 झीले 5 से 10 हैक्टेयर तथा 58 झीले 5 हैक्टेयर से कम क्षेत्र में है।
सैटेलाइट पिक्चर के जरिए किए गए ताजा सर्वेक्षण में पता चला है कि तीन प्रमुख नदियों के बेसिन में झीलों की संख्या व आकार दोनों में बढ़ोतरी हुई है। इनकी मॉनीटरिंग जरूरी है। हालांकि इससे खतरे जैसी आशंका नहीं है लेकिन समय समय पर एजंसियों से मिलने वाली जानकारी पर सरकार के संबंधित विभाग निगरानी रखते है।
हिमाचल सरकार में साईन एन्ड टेक्नोलॉजी विभाग के विशेष सचिव डीसी राणा के मुताबिक इन सब क्षेत्रों में लगातार निगरानी करने वाली संस्थाएं सरकार को समय समय और जानकरी सांझा करती है। फिलहाल दुनिया भर में ग्लोबल वार्मिंग का असर हिमाचल में भी देखा जा सकता है।
नदियों के उद्गम स्थानों पर बड़े बड़े ग्लेशियर पिघलने से टूट रहे है और छोटे बड़ी झीलों का निर्माण होता जा रहा है। आशंका हमेशा इस तरह की रहती है, लेकिन ज्यादातर देखा गया है कि पानी अपना रास्ता निकाल कर ये खतरा कम कर देता है। लेकिन इन स्थानों को केवल सेटेलाइट से ही देखा जा सकता है।