ऊना में खनन माफिया का कहर, करोड़ों के स्वां तटीकरण को पहुंचाया जा रहा नुक्सान

ख़बरें अभी तक। जिला ऊना में खननकारियों के हौंसले इतने बुलंद है कि यह लोग करोड़ो की सरकारी सम्पति को तो नुक्सान पहुंचा ही रहे है वहीं जिला ऊना को बड़ी तबाही की ओर ले जा रहे है। दरअसल वर्ष 1988 में ऊना जिला में बहने वाली सोमभद्रा (स्वां) नदी में आई प्रलयंकारी बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई थी। इस बेलगाम नदी के बेग को बांधने के लिए वर्ष 1998 में स्वां तटीकरण का कार्य शुरू हुआ। 1998 से लेकर अब तक स्वां नदी और इसकी सहायक खड्डों के तटीकरण के लिए चार चरणों में करीब 1400 रूपये स्वीकृत हुए है, जिसमें से करीब 1100 करोड़ रुपये अब तक खर्च किये जा चुके है। स्वां नदी और खड्डो के तटीकरण से जहाँ ऊना जिला बाढ़ मुक्त बनने की ओर अग्रसर है।

वहीं हजारों हैक्टेयर भूमि भी रिक्लेम हुई है। लेकिन खनन माफिया अपनी जेबें भरने की खातिर जिला ऊना की इस सबसे बड़ी योजना को नुक्सान पहुंचा रहा है। दरअसल ऊना जिला में बहने वाली स्वां नदी से खनन सामग्री उठाने के लिए खनन विभाग द्वारा दर्जनों लीज आबंटित की गई है वहीँ क़ानूनी लीज की आड़ में कई स्थानों पर अवैध खनन भी जोरशोर से चल रहा है। स्वां नदी में घुसने के लिए खननकारियों द्वारा कई स्थानों पर तटबांधों से ऊपर से ही रास्ते बना लिए है जिन पर से रोजाना खनन सामग्री से भरे सैंकड़ों बड़े बड़े टिप्पर गुजरते है। वहीँ कई स्थानों पर तो खननकारी बड़ी बड़ी मशीने लगाकर तटबंधों के बिलकुल साथ ही खनन सामग्री उठा रहे है जबकि मशीनों से खनन पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।

खननकारियों की इसी मनमानी के चलते कई जगह पर तो तटबांध टूट गई है जबकि कई स्थानों पर टूटने की कगार पर पहुँच चुके है। ऊना के पूर्व पार्षद ने इस पूरे मामले को नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष उठाने का मन बना लिया है। पूर्व पार्षद नवदीप कश्यप की माने तो अगर फिर भी इस पर लगाम न लगी तो वो हाईकोर्ट या सप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे ताकि जनता के करोड़ो रूपये को बर्बाद होने से बचाया जा सके।

वहीं स्थानीय किसानों की माने तो सरकार द्वारा करोड़ो रुपये खर्च करके तटबांध लगाए है जिसके बाद किसानों ने भी लाखों रुपया खर्च करके अपनी भमि को खेती योग्य बनाया है। किसानों की माने तो अगर समय रहते खनन को ना रोका गया तो ऊना में दोबारा से बाढ़ का खतरा बढ़ जायेगा।

वहीं बाढ़ नियंत्रण विभाग की माने तो तटबांधो पर रास्ते बनाने का मामला ध्यान में आने के बाद बाढ़ नियंत्रण विभाग और खनन विभाग ने संयुक्त निरीक्षण करके गैर जरूरी रास्तों को बंद करवाया था। वहीं बाढ़ नियंत्रण विभाग के एस. ई. अविन्दर चड्ढा ने कहा कि रास्तों के कारण हुई  तटबांधों की तोड़फोड़ की रिपेयर के लिए उद्योग विभाग को कहा जायेगा अगर उद्योग विभाग न नुकर करता है तो विभाग इसे अपने स्तर पर ठीक करवाएगा। चड्ढा ने माना कि तटबंधों पर अवैध रास्तों को लेकर विभाग द्वारा पुलिस में भी शिकायत की गई है।

वहीं जिला खनन अधिकारी की माने तो खनन विभाग द्वारा समय समय पर इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है और कई स्थानों पर ऐसे रास्तों को बंद भी किया गया है।

वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस ने भी प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लिया है, ऊना सदर से कांग्रेस के विधायक सतपाल रायजादा ने कहा कि स्वां चैनेलाइस पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की देन है। रायजादा ने कहा कि स्वां नदी से खनन सामग्री उठाने के चलते यह योजना खतरे में पड़ गई है।

वहीं रायजादा ने कहा कि स्वां के तटबांधों को बचाने के लिए चार-पांच साल के लिए खनन बंद होना चाहिए। रायजादा ने कहा कि अगर जल्द ही इस पर लगाम नहीं लगी तो कांग्रेस उग्र आंदोलन छेड़ेगी।

वहीं कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि माफिया के ऊपर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार काम कर रही है। कंवर ने कहा कि अगर फिर भी ऐसी शिकायत आएगी तो प्रदेश सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।