यहां के लोग ठंड से बचने के लिए बिच्छू बूटी का खाने में करते है इस्तेमाल

ख़बरें अभी तक। देवभूमि हिमाचल में कड़ाके की ठंड से बचने के लिए पहाड़ी इलाकों में बसे लोग बिच्छू बूटी नामक पोस्टिक आहार व्यंजन बनाकर खाते हैं बता दें कि बिच्छू बूटी को पहाड़ी भाषा में क्खुवा के नाम से ही जाना जाता है। ठंड के मौसम में ग्रामीण इलाकों के लोग बिच्छू बूटी का इस्तेमाल करते हैं बताया जाता है कि उसका भोजन करने से शरीर काफी गर्म रहता है। जिला सिरमौर के शिलाई क्षेत्र के सभी पंचायतों के गांव के लोग बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाते हैं ताकि ठंड से बच सके।

क्या है बिच्छू बूटी

बिच्छू बूटी हिमाचल प्रदेश में बहुत होती है। कोमल कांटेदार पत्तों को स्पर्श करने से वृश्चिकदंश जैसी पीड़ा होने लगती है। इसीलिए इसका नाम बिच्छू बूटी है जिन इलाकों में बर्फ ज्यादा होती है उस क्षेत्र में सबसे ज्यादा बिच्छू बूटी की पैदावार होती है।

क्या कहा गांव वासियों ने

रामेश्वर शर्मा ने बताया कि ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा गांव के लोग बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाकर  ग्रहण करते हैं ना तो इससे ठंड लगती है और ना ही बीमारियां होती है वहीं तेलु राम ने भी बताया कि अधिकतर लोग तो बिच्छू बूटी इसलिए भी ग्रहण करते हैं ताकि बीमारियों से राहत मिल सके ठंड के समय लोगों को कई बीमारियां पैदा हो जाती है जिनके लिए घर में स्पेशल बिच्छू बूटी के पत्तों का भोजन बनाया जाता है।

बिच्छू बूटी इसलिए भी ग्रहण की जाती है ताकि सर्दी जुखाम से राहत मिल सके। वहीं तुलसीराम बुद्धिजीवी ने बताया कि पुराने जमाने की परंपराएं आज भी यहां के क्षेत्र के लोग निभा रहे हैं। बुजुर्गों द्वारा सबसे गरम पोस्टिक आहार बिच्छू के पत्तों को ही कहा जाता था यही नहीं माघ के महीने में जिन इलाकों में लोग मीठे का नहीं करते वह बिच्छू बूटी के पत्तों से बना भोजन ग्रहण करते हैं। इससे सर्दी से राहत मिलती है।