ऊना: देवभूमि में पनप रहे हवस के शैतान, दो साल में बलात्कार और छेड़छाड़ के 93 मामले दर्ज

ख़बरें अभी तक। हिमाचल को देवभूमि का दर्जा प्राप्त है और कुछ समय पहले तक बलात्कार व छेड़छाड़ जैसे कुछ एक मामले ही सामने आते थे। लेकिन हवस के दरिंदों ने देवभूमि हिमाचल को कलंकित करना शुरू कर दिया है। अगर जिला ऊना में महिलाओं और नाबालिगों के साथ बालात्कार व छेड़छाड़ के मामलों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए, तो दो वर्षों में 93 मामले दर्ज हुए हैं। 2018 के मुकाबले 2019 में कुछ कमी जरूर देखने को मिली है, लेकिन नाबालिगों के साथ बालात्कार के मामले पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल भी बराबर ही रहे हैं। वर्ष 2018 में जहां 18 वर्ष से ऊपर की महिलाओं के साथ  बलात्कार के 15 और छेड़छाड़ के 22 मामले सामने आए थे। वहीं नाबालिगों के साथ बलात्कार के 10 और छेड़छाड़ के 8 मामले पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हुए थे। वहीं 2019 में 18 वर्ष से ऊपर की महिलाओं के साथ बलात्कार के 8 और छेड़छाड़ के 18 मामले दर्ज हुए हैं। वहीं नाबालिगों के साथ बलात्कार के 10 और छेड़छाड़ के 2 मामले पुलिस के पास पहुंचे हैं।

जिला ऊना में तो अब विद्या के मंदिरों में भी बच्चियां सुरक्षित दिखाई नहीं पड़ रही है। जिला ऊना में पिछले कुछ अरसे से स्कूलों में अध्यापकों द्वारा बच्चियों के साथ छेड़छाड़ के मामलों में इजाफा हुआ है। अगर पिछले छह माह की बात की जाए, तो गगरेट उपमंडल में दो अध्यापकों की गंदी हरकतें जनता के सामने आई। वहीं हरोली उपमंडल के एक अध्यापक की करतूत भी छात्राओं ने उजागर की है। हैरानी तो इस बात को लेकर है कि उपमंडल हरोली के शास्त्री अध्यापक पर एक-दो नहीं, बल्कि करीब तीन दर्जन छात्राओं ने छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं। एएसपी ऊना भी मानते है कि पिछले कुछ समय से स्कूलों में भी ऐसे मामले सामने आये है।

वहीं जिला ऊना में बढ़ रही बालात्कार और छेड़छाड़ की घटनाओं को लेकर अविभावक भी खासे चिंतित है। अविभावकों की माने तो सरकार को ऐसे मामलों पर सख्त कानून बनाकर दोषियों को सख्त सजा देनी चाहिए ताकि इन पर लगाम लग सके।