सूखे से नहीं उबर पा रहा है हिमाचल प्रदेश, इन जिलों में हुआ नुकसान

खबरें अभी तक। एक सप्ताह पहले हुई बारिश और बर्फबारी से भी हिमाचल प्रदेश की खेती और बागवानी सूखे से नहीं उबर पाई है। हिमाचल में गेहूं की फसल पर सूखे की मार पड़ी है। वहीं सेब की फसल के तैयार होने को अभी वक्त लगेगा, मगर पेड़ों को वांछित चिलिंग ऑवर्स नहीं मिल पाने से लोग परेशान हो गए हैं।

उधर, राज्य सरकार के निर्देश के बावजूद अधिकांश जिलों के डीसी ने सूखे की रिपोर्ट नहीं दी है। वहीं अभी तक प्रदेश के जलस्रोतों में पानी की बहुत अधिक कमी होने की रिपोर्ट कहीं से नहीं है।

हाल ही में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मुख्य सचिव विनीत चौधरी और प्रधान सचिव राजस्व ओंकार शर्मा ने अधिकारियों के साथ सूखे पर बैठकों के कई दौर आयोजित किए हैं। सभी डीसी को ये निर्देश दिए गए हैं कि वे सूखे पर ग्राउंड रिपोर्ट से अवगत करवाएं।

जलस्रोतों में अधिक कमी की रिपोर्ट कहीं से नहीं

सूत्रों ने बताया कि इसके बावजूद अधिकतर उपायुक्तों ने इसकी रिपोर्ट सरकार को अभी तक नहीं दी है। इससे जिला प्रशासन की ढिलाई भी सामने आ गई है। हिमाचल प्रदेश में 3,52,000 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की खेती होती है।

प्रदेश में वैसे भी खाद्यान्न फसलों को उगाने का लोगों मेें रुझान कम हो चुका है। जहां 1997-98 में खाद्यान्न फसलों कोे उगाने के लिए 853.88 हजार हेेक्टेयर क्षेत्र था, वहीं ये अब घटकर करीब 832 हजार हेक्टेयर क्षेत्र रह गया है।

सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य महकमे में प्रमुख अभियंता का कार्यभार देख रहे इंजीनियर आरएम मुकुल का कहना है कि अभी तक प्रदेश के जलस्रोतों में पानी की बहुत अधिक कमी होने की रिपोर्ट कहीं से नहीं है।

दूसरी ओर राष्ट्रीय हाइड्रोलॉजी परियोजना के अधिशासी अभियंता इंजीनियर विजय कश्यप ने कहा कि राज्य में ग्राउंड वाटर की स्थिति पर आंकड़े एकत्रित किए जा रहे हैं। अभी ये बता पाना मुमकिन नहीं है कि इसमें कितनी कमी आई है।