सुखना कैचमेंट एरिया में निर्माण पर स्थानीय निवासियों को फिलहाल राहत नहीं

खबरें अभी तक। सुखना कैचमेंट एरिया में निर्माण पर नया गांव, कांसल के स्थानीय निवासियों को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं मिल पाई है। निर्माण कार्य गिराए जाने को लेकर स्थानीय निकाय विभाग से मिले नोटिस को चुनौती देते हुए 80 से ज्यादा लोगों की याचिका पर चीफ जस्टिस रवि शंकर झा और जस्टिस राजीव शर्मा की खंडपीठ ने वीरवार के लिए मामले पर अगली सुनवाई तय की है।

याचिका में कहा गया कि मास्टर प्लान के हिसाब से उनका एरिया रेजीडेंशियल जोन में है लिहाजा वे निर्माण कार्य कर सकते हैं। फॉरेस्ट और एग्रीकल्चर एरिया में निर्माण कार्य करने पर रोक है। ऐसे में उन्हें इस मामले में राहत दी जाए। दूसरी तरफ अदालत के सहयोगी (एमिकस क्यूरी) नियुक्त सीनियर एडवोकेट एमएल सरीन ने कहा कि सुखना कैचमेंट एरिया में निर्माण कार्यों पर रोक है। ऐसे में पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की तरफ से निर्माण गतिविधियां जारी हैं जिन पर रोक लगाई जानी चाहिए। चीफ जस्टिस ने इस पर मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों राज्य चंडीगढ़ के नाम पर लाभ लेना जानते हैं लेकिन जहां शहर के लिए किसी भागीदारी की जरूरत हो तो फिर पीछे हट जाते हैं। कोर्ट ने मामले में फिलहाल कोई राहत न देते हुए वीरवार के लिए अगली सुनवाई तय की है।

सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया कि केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय कोई निर्देश देता है तो वह चंडीगढ़ पर लागू होता है। वह पंजाब सरकार के लिए नहीं है। ऐसे में नया गांव व कांसल में निर्माण कार्यों पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

हरियाणा सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि सुखना कैचमेंट एरिया में उनकी तरफ कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ है लिहाजा स्टेटस रिपोर्ट देने की जरूरत नहीं है। सुखना में पानी के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाया जाना है, जिसके लिए टेंडर अलॉट कर दिया गया है। वहीं अदालत के सहयोगी एमएल सरीन ने कहा कि हरियाणा की तरफ भी निर्माण कार्य हो रहा है जो कैचमेंट एरिया में आता है। ऐसे में इन पर भी पूरी तरह से रोक लगाई जानी चाहिए।