खबरें अभी तक। लंबी बीमारी के बाद 79 साल की उम्र में यूपी के कैराना से बीजेपी सांसद हुकुम सिंह का निधन हो गया. हुकुम सिंह का जहां एक तरफ विवादों से लंबा नाता रहा तो दूसरी तरफ उन्हें पसंद करने वालों की भी एक लंबी तादाद रही. आइए जानते हैं हुकुम सिंह के राजनीतिक और निजी जीवन के बारे में-
5 अप्रैल 1938 को हुकुम सिंह का जन्म गुर्जर समुदाय में यूपी के कैराना में हुआ. हुकुम सिंह बचपन से ही पढ़ाई में बेहद होशियार थे. उन्होंने अपनी 12 वीं तक की पढ़ाई कैराना में ही की. इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चले गए. यह से उन्होंने B.A और L.L.B की पढ़ाई पूरी की. यह वह दौर था जब हुकुम सिंह ने कभी राजनीति में आने की सोची भी नहीं थी.
13 जून 1958 में हुकुम सिंह की शादी रेवती सिंह हुई. उन्होंने वकालत में अपना भविष्य बनाने की ठानी और लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी. अपनी मेहनत की बदौलत उन्होंने जज बनने की परीक्षा PCS(J) भी पास कर ली. देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर हुकुम सिंह ने भारत-चीन युद्ध के दौरान जज की नौकरी छोड़ सेना में जाने का फैसला लिया. उन्होंने इसके बाद पाकिस्तान-भारत युद्ध में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
1969 में उन्होंने सेना की सर्विस से इस्तीफा दे दिया और वापस मुजफ्फरनगर आ गए. इसके बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई शुरू की और दोस्तों के कहने पर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और उसमें भारी मतों से जीत हासिल की. यहीं से हुकुम सिंह के राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई.
1995 में राम मंदिर आंदोलन के बाद हुकुम सिंह ने बीजेपी का हाथ थामा और चौथी बार विधायक बने. कल्याण सिंह और राम प्रकाश गुप्ता की सरकार में वह मंत्री बने.
2007 में हुए चुनाव में भी वह विधानसभा पहुंचे. 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के आरोप भी हुकुम सिंह पर लगे, लेकिन उन्होंने इस बात की चिंता किए बगैर 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने कैराना में हिंदुओं के पलायन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया.