ख़बरें अभी तक। विधानसभा के लिए मतदान होने के साथ ही प्रत्याशियों ने कागजों पर शह-मात का खेल शुरू कर दिया है। सभी प्रत्याशियों आंकड़ों के आधार पर अपनी जीत बता रहे हैं। चौपालों तथा सावर्जनिक स्थानों से लेकर घरों में हार-जीत की चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है।
चुनाव परिणामों को लेकर धुंधलका होने के कारण सट्टा बाजार में भी अनिश्चितता बनी हुई है। सोमवार को मतदान होने के साथ ही प्रत्याशियों की हार-जीत का फैसला ईवीएम मशीनों में बंद होने के बाद अब कागजों का सहारा ले रहे हैं। समर्थक दफ्तरों में बैठकर चुनावी आंकड़ों को कागजों पर जमा घटा कर अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं। जनमानस में भी प्रत्याशियों की हार-जीत को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम है। प्रत्याशियों के समर्थक मेज पर बैठकर आंकड़ों का जोड़-तोड़ बैठा रहे हैं। मतदान प्रतिशत कम होने, कई पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में होने, जातीय समीकरण फेल हो जाने के कारण इस बार दादरी विधानसभा सीट पर अप्रत्याशित परिणाम होने का अनुमान लगाया जा रहा है। सभी दलों के पदाधिकारियों व नेताओं के घरों में समर्थकों की भीड़ लगी हुई है।
इस बार दादरी विधानसभा क्षेत्र में करीब 67 फीसदी मतदाताओं ने मतदान प्रक्रिया में भाग लिया। इस बार दस फीसदी तक घटे मतदान प्रतिशत को जहां विधानसभा स्तर पर विकास कार्यों व भेदभाव को माना जा रहा है, वहीं भाजपा समर्थक घटे प्रतिशत को अपने पक्ष में बता रहे हैं। मतगणना हालांकि 24 अक्तूबर को होगी लेकिन अभी से सभी जगह परिणाम की ही चर्चा है। चौपालों, पार्कों, ट्रेन, बसों तथा घरों में सभी ओर चुनाव परिणाम को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है। इस बार विधानसभा में पांचवी बार चुनाव लड़े पूर्व विधायक सतपाल सांगवान व तीसरी बार निर्दलीयचुनाव लड़ रहे सोमबीर सांवान उनका प्रतिनिधित्व करेंगे या फिर इतिहास अपने आप को दोहराएगा तथा इन दोनों की बजाय भाजपा की बबीता फौगाट पहली बार दादरी में कमल खिलाते हुए विधानसभा की सीढिय़ां चढ़ेंगी। इनके अलावा कांग्रेस के नृपेंद्र सांगवान भी जीत की आस में विधानसभा में जाने के लिए लालायित हैं।
दिलचस्प बात यह है कि शुरू से ही चुनाव दौड़ से बाहर रहे प्रत्याशी भी परिणाम घोषित होने तक अपनी हार मानने को तैयार नहीं हैं। अब जबकि दादरी सीट से चुनाव लड़ रहे सभी 17 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है तथापि चारों प्रमुख उम्मीदवार मतदान में रहे रुझान के हिसाब से अपनी स्थिति का मूल्यांकन कर रहे हैं। जजपा प्रत्याशी सत्तारूढ़ भाजपा के नकारात्मक मतों व नान जाट से मिले फायदे, भाजपा प्रत्याशी विकास कार्यों के कारण समर्थन मिलने, मोदी लहर व कांग्रेस विरोध और इनेलो प्रत्याशी युवा व पार्टी के संगठन से मिले फायदे के आधार पर खुद को लाभ की स्थिति में मान रहे हैं।
चुनावी सरगरमी के बाद थकान उतारने की कवायद शुरू
कौन कितने वोट लेगा तथा चुनावी दंगल में हवा का रुख किस ओर होगा जैसे प्रश्नों पर मतदान प्रक्रिया समाप्त होने के साथ ही विराम लग चुका है। चुनावी कार्यालयों की ओर चलने वाला लोगों का रैला अब अपनी चुनावी भाग-दौड़ की थकान उतारने की कवायद में अपने-अपने घरों में आराम की मुद्रा में है।