गिरिपार में आज  भी चल रहे पारंपरिक घराट, पीढ़ी दर पीढ़ी घराट संचालन का काम संभाल रहे लोग

ख़बरें अभी तक। सिरमौर जिला की गिरीपार इलाके में आज भी पारंपरिक घराट बखूबी चलाए जा रहे हैं. यहां के लोगों द्वारा पीढ़ी दर पीढ़ी इसको चलाने का काम संभाला जा रहा है. कभी जिला सिरमौर में 90 प्रतिशत ग्राहक चलते थे. ग्रामीण उन्हीं घराटों का आटा खाते थे, लेकिन बड़ी विडंबना का विषय है कि अब अगर जिला सिरमौर के पहाड़ी इलाकों की बात की जाए तो अब मात्र इक्का-दुक्का ही नजर आते हैं. जबकि घराट का आटा शुद्ध और पौष्टिक माना जाता है. केंद्र और प्रदेश सरकार अगर दोबारा से इन घराटों की ओर ध्यान दे दो आने वाले समय में लोगों को अच्छा आटा मिल सकता है.

इन घराटों के संचालन से जहां घराट चलाने वाले लोग अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. वहीं लोगों को भी इससे फायदा मिल रहा है. लोगों का कहना है कि यह घराट पिछले कई सालों से चल रहे हैं और इससे पहले उनके पूर्वज यह घराट चलाया करते थे. लोगों का कहना है कि यहां तैयार होने वाले आटे की दूर-दूर तक डिमांड रहती है, इनका यह भी कहना है कि इसे चलाने में किसी तरह का कोई खर्चा नहीं आता है क्योंकि यह बिना बिजली के पानी से चलता है. वहीं इस आटे में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं होती है.

लोगों का कहना है कि घराट चलाने वाले लोगों को अगर सरकार प्रोत्साहन देती है तो इस और लोग बड़ी संख्या में रुख कर सकते है. लोगों की माने कि सरकार की तरफ से अगर कोई मदद मिल पाती है तो रोजगार का भी यह एक बड़ा साधन बन सकता है. घराटों को अगर प्रदेश सरकार बढ़ावा दे तो आने वाले समय में क्षेत्र में दोबारा से घराटों की संख्या बढ़ सकती है किसान खेतों में अनाज पैदा कर सकता है.

ट्रांसगिरी क्षेत्र की पारंपरिक घराट संस्कृति धीरे धीरे विलुप्त होती जा रही है. जब  क्षेत्र के अधिकतर गांव बिजली व सड़कों से वंचित हुआ करते थे. उस समय 95 फीसदी से अधिक लोग घराटों का पिसा आटे का इस्तेमाल करते थे. गांव में बिजली पहुंचनी शुरू हुई लोगों ने बिजली से चलने वाली चक्कियों को लगाना शुरू कर दिया. इसके कारण घराटों का काम धीरे-धीरे कम होता गया. अब स्थिति इतनी विकट हो गई है कि ट्रंस गिरी क्षेत्र के लगभग 90 फीसदी घराटों का अस्तित्व पूरी तरह से मिट चुका है. मात्र इक्का-दुक्का घरात इन दिनों नजर आ रहे हैं. क्षेत्र के नदी नालों का जल स्तर तेजी से घट रहा है. दूसरा सबसे बड़ा कारण किसानों का अनाजी फसलों से मोह भंग होना है. कुल मिलाकर यह घराट जहां दशकों से लोगों के लिए आर्थिकी का साधन बने हुए हैं. वही. लोगों को भी यहां से शुद्ध व स्वास्थ्यवर्धक आटा मिल रहा है.