डिप्थीरिया से दर्जन भर बच्चों की मौत , जांच में जुटा स्वास्थ्य विभाग

खबरें अभी तक। उपायुक्त पंकज की अध्यक्षता में शुक्रवार को उनके कार्यालय में डिप्थीरिया (गलघोटू ) बिमारी के संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ बैठक का आयोजन किया गया। बैठक को संबोधित करते हुए उपायुक्त पंकज ने जिले के लोगों से आह्वान किया कि गलघोटू एक खतरनाक बिमारी है, जिसके कारण मृत्यु तक हो सकती है। इसके बचाव के लिए जिले के रोगी तुरंत अपने नजदीकी मेडिकल कॉलेज नल्हड़ में चिकित्सकों से संपर्क करें ताकि बिमारी से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि बच्चों को बुखार के साथ गले में सूजन आना व सांस लेने में तकलीफ, खाने-पीने में दिक्कत होना गलघोटू ( डिप्थीरिया ) बीमारी का मुख्य लक्षण होता है। उपायुक्त ने बताया कि इस बिमारी के लक्षण को देखते हुए रोगी तुरंत किसी बडे अस्पताल में सम्पर्क करें।

नूंह जिले में इस बिमारी का जो विशेष टीका (एण्टी डिक्थरीरियां सिरम) लगाया जाता है , वह नल्हड़ मेडिकल कालेज में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि जिस भी रोगी को गलघोटूं बिमारी के लक्षण दिखाई पडते है तो जल्द से जल्द नल्हड़ मेडिकल कालेज में सम्पर्क करें। उन्होंने बताया कि इस बिमारी का बचाव एक मात्र टीका है अत: समय रहते टीका अवश्य लगवाए। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर दुबे ने बताया कि बच्चों में गलघोटू बिमारी होने का मुख्य कारण शिशु को जन्म के समय पूर्ण टीकाकरण नही करवाना है। उन्होंने कहा कि यह बिमारी मेवात को छोड़ कर पूरे हरियाणा में बहुत कम होती है, क्योंकि प्रदेश के अन्य जिलों में माता-पिता अपने बच्चों को जन्म के समय टीकाकरण का पूरा कोर्स कराते है। इस बिमारी से जिले में कुछ मौतें होने की सूचना मिली है। उन्होंने लोगों से आह्वïन किया कि वे अपनों बच्चों को गलघोटू , काली खांसी, टैटनिश के टीके जन्म के समय अवश्य लगवाएं और टीकों  का कोर्स पूरा करवाएं  ताकि भविष्य में बच्चों को जानलेवा बिमारी न हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बच्चों को जन्म के समय से सरकार द्वारा यह टीके मुफ्त लगाए जाते हैं ।

खास बात यह है कि गलघोटू की वजह से करीब 12 बच्चों की नूंह जिले में इस वर्ष मौत हो चुकी है , साथ ही कई बच्चे डिप्थीरिया बीमारी की चपेट में आ चुके हैं , इसलिए बैठकों का दौर जारी है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी से अब तक हुई मौत के आंकड़े को छुपाने की कोशिश तो कर रहा है , लेकिन इस बीमारी से कैसे निपटा जाये। इसे लेकर बैठकों का दौर जारी है। डॉक्टर दुबे के मुताबिक बीमारी में मरीज को तेज बुखार होता है। गले में सूजन आ जाती है और सांस लेने में तकलीफ होती है। ऐसी सूरत में तत्काल अस्पताल में मरीज को दिखाएं , नल्हड मेडिकल कालेज में स्पेशल वार्ड बनाया हुआ है। इस बीमारी की चपेट में अधिकतर बच्चे आते हैं। पिछले साल भी डिप्थीरिया की वजह से नूंह जिले में दो दर्जन से अधिक बच्चों की जान चली गई थी।