क्या वाकई बढ़ जाएगी किसानों की आमदनी

खबरें अभी तक।वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2018 में किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए विशेष प्रावधान किए हैं. इसमें उन्होंने किसानों को उनकी फसल पर आने वाली लागत का 50 फीसदी यानी डेढ़ गुना एमएसपी बढ़ाकर देने की बात कही है. आइए जानते हैं कि इसके क्या मायने हैं, यह आईडिया कहां से आया और किसानों को असल में इसका कितना फायदा मिलने जा रहा है.

2004 में यूपीए सरकार ने किसानों के लिए राष्ट्रीय आयोग बनाया था. इसका लक्ष्य भारत में खेती, खाद्यान्न उत्पादन, सूखे की समस्या से निपटने के लिए अपने सुझाव देना था. इस आयोग को स्वामीनाथन कमीशन के नाम से जाना गया. कमीशन ने अपनी रिपोर्ट (2006) में किसानों को फसलों पर आई लागत का 50 फीसदी एमएसपी देने को कहा था.

भारत में फसलों पर आती है तीन तरह की लागत

इस कमीशन ने फसल पर आने वाली लागत को तीन हिस्सों- A2, A2+FL और C2 में बांटा था. A2 लागत में किसानों के फसल उत्पादन में किए गए सभी तरह के नगदी खर्च शामिल होते हैं. इसमें बीज, खाद, केमिकल, मजदूर लागत, ईंधन लागत, सिंचाई आदि लागतें शामिल होती हैं. A2+FL लागत में नगदी लागत के साथ ही परिवार के सदस्यों की मेहनत की अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाता है. वहीं C2 लागत में फसल उत्पादन में आई नगदी और गैर नगदी के साथ ही जमीन पर लगने वाले लीज रेंट और जमीन के अलावा दूसरी कृषि पूंजियों पर लगने वाला ब्याज भी शामिल होता है.

जेटली ने की है गोलमोल बात, कुछ भी साफ नहीं

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि किसानों को उनकी फसल में लागत पर 50 फीसदी एमएसपी मिलेगा. हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि यह एमएसपी किस तरह की लागत पर मिलेगा. स्वामीनाथन कमीशन आने के बाद से किसानों की लागत को तीन श्रेणियों में गिना जाता है. किसानों को अगर C2 लागत पर 50 फीसदी एमएसपी मिले तो ही उनके लिए फायदे की बात हो सकती है. A2 लागत में 50 फीसदी मिलने पर उन्हें लागत का काफी कम मूल्य मिलेगा.

एक कुंतल गेहूं 144 रुपये घाटे में बेचेगा किसान

एक अनुमान के मुताबिक 2017-18 में उपजाये गेहूं की A2+FL लागत 817 रुपये प्रति कुंतल बैठती है. इसमें 50 फीसदी लागत जोड़ देने से एमएसपी 1325 रुपये प्रति कुंतल हो जाती है. गेहूं की ही C2 लागत 1256 रुपये प्रति कुंतल बैठती है और इसमें 50 फीसदी लागत और जोड़ने से एमएसपी 1879 रुपये प्रति कुंतल हो जाती है. मौजूदा केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2017 में गेहूं का एमएसपी 1735 रुपये कुंतल तय किया था. इस तरह से किसान को प्रति कुंतल गेहूं पर 144 रुपये कम मिलेंगे.

कोई तैयारी नहीं, कैसे दिलवाएंगे एमएसपी?

यह भी याद रखा जाना चाहिए कि देश के केवल 6 फीसदी किसानों को ही उनकी फसल पर एमएसपी मिल पाता है. बाकी किसानों की फसल बिचौलियों, साहूकरों और दूसरे दलालों के पास जाती है. वित्त मंत्री ने यह भी साफ नहीं किया है कि 94 फीसदी किसानों को एमएसपी दिलवाने के लिए क्या इंतजाम किए जाएंगे. उनकी खरीद को सरकारी खरीद केंद्रों में पहुंचाना कैसे सुनिश्चित होगा, यह सबसे बड़ा सवाल है.

बिना प्रावधानों के कैसे दोगुनी होगी किसानों की आय?

कृषि क्षेत्र को पिछले साल मिले बजट से इस बार के बजट की तुलना की जाए तो 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा भी जमीन पर उतरता नजर नहीं आ रहा है. 2017-18 में कृषि क्षेत्र के लिए 41,886 करोड़ रुपये आवंटित थे, जिसे बाद में रिवाइज करके 41,105 करोड़ रुपये किया गया था. इस बार के बजट में 2018-19 में इस आवंटन को बढ़ाकर 46,700 करोड़ रुपये किया गया है. यानी केवल 4,845 करोड़ रुपये बढ़ाकर कैसे किसानों की आय दोगुनी हो सकती है. यह सवाल भी अनुत्तरित है.

यूपीए-2 बनाम एनडीए, किसने किसानों को क्या दिया

योगेंद्र यादव का कहना है कि वित्त मंत्री ने इस बजट में किसानों को लागत का 50 फीसदी  एमएसपी बढ़ाकर देने का वादा किया है, जो उन्हें किसी तरह का फायदा नहीं दिला सकेगा. आजतक से बातचीत में यादव ने कहा कि यूपीए सरकार लागत का 70 फीसदी एमएसपी दे रही थी.