हिमाचल: कुल्लू ज़िला के दलाश में देवी देवताओं को भेंट स्वरूप नई फसल चढ़ाने की अनूठी परम्परा

ख़बरें अभी तक: हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण दूर-दराज के क्षेत्रों में अपनी अनूठी दैवीय परम्परा के कारण समृद्ध संस्कृति को बचाए हुए हैं। इस तरह के अनूठे रीति-रिवाजों को दर्शाने वाला कुल्लू ज़िले के आनी उपमंडल क्षेत्र के दलाश पंचायत मुख्यालय का उत्सव है। जहां देवी देवताओं का स्वागत क्षेत्र के ग्रामीण अपने क्षेत्र में हाल ही में तैयार हुए फलों और फसलों को इष्टों पर फैंक कर करते है। इस दौरान मेला मैदान के चारों ओर बैठी महिलाएं फल और अनाज मैदान में नृत्य कर रहे देवताओं की ओर  फेंकती है। इस तरह भेंट स्वरूप अपनी फसल को चढ़ावा स्वरूप इष्टों पर फैंकने से खुशाली बनी रहने की मान्यता है। हालांकि देवलुओं को अपने देवताओं के पालकियों में लगे मोहरों

को फलों की बरसात से चोट न लगे, बचाने में इस दौरान पसीने छूटते है। जब कि महिलाओं द्वारा फेंके गए फलों को लोग प्रशाद स्वरूप पकड़ने की होड़ में रहते है। इस प्राचीन व ऐतिहासिक मेले को क्षेत्र में ऋषि पंचमी मेला के रूप में जाना जाता है। मेले के अंतिम दिन चारों देवताओं के रथ शिव मंदिर दलाश से देवलू नाचते गाते  मेला मैदान तक पहुँचाते है। इस दौरान आराध्य देवता जगेश्वर महादेव,खोडू देवता, कुईकंडा नाग देवता, परशुराम देवता ओलवा का देव नृत्य आकर्षक रहता है। क्षेत्र के इस प्रसिद्ध मेले को, दलाश, डिंगी धार, कुठेड़, तलुना, बहना  दलाश  पांच पंचायतों के पांच दर्जन से अधिक ग़ांव के लोग धूमधाम से मनाते है।