मणिमहेश यात्रा: एक बार फिर विवादों में दशनामी अखाड़े की छड़ी यात्रा

ख़बरें अभी तक। विश्व विख्यात मणिमहेश यात्रा के लिए बड़े स्नान के लिए चम्बा मुख्यालय के दशनामी अखाड़ा से निकाली जाने वाली छड़ी यात्रा एक बार फिर से विवादों में दिख रही है. पिछले साल की तरह इस बार भी दशनामी अखाड़े के महंत इस छड़ी यात्रा को लेकर प्रशाशन के साथ नाराज रहे हैं.

दरअसल मिंजर मेले के तुरंत बाद प्रशाशन द्वारा मणिमहेश यात्रा के लिए एक बैठक करवाई जाती है. जिसमें चंबा जिला के सरकारी व गैर सरकारी लोग भाग लेते हैं और इसमें दशनामी अखाड़े के महंत को भी बुलाया जाता है. वहीं पर छड़ी के प्रस्थान की रूपरेखा भी तैयार की जाती है. लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी दशनामी अखाड़ा के महंत को मीटिंग में ना बुला कर उनकी अनदेखी की है. जिसको लेकर आज दशनामी अखाड़ा के महंत जितेंद्र गिरी ने एक प्रेस वार्ता में प्रशासन पर सदियों से चली आ रही परंपरा की अनदेखी का इल्जाम लगाया है.

दशनामी अखाड़ा चंबा के महंत जितेंद्र गिरी ने बताया कि सदियों से मणिमहेश यात्रा के दौरान बड़े स्नान के लिए चंबा के दशनामी अखाड़ा से परंपरागत ढंग से छड़ी यात्रा शुरू होती है. जिसमे छड़ी को बड़े स्नान में जाकर पवित्र डल झील में स्नान कराया जाता है. लेकिन एक बार फिर प्रशासन इसकी अनदेखी कर रहा है.

उन्होंने कहा इस साल भी मणिमहेश कि बैठक के दौरान उन्हें नहीं बुलाया गया. उनके मुताबिक 3 दिन छड़ी यात्रा के लिए बचे हुए हैं, लेकिन प्रशासन ने अभी तक उन्हें किसी भी तरह से कोई संदेश नहीं भेजा है. उन्हें लगता है कि प्रशासन इस परंपरा को बंद करने के पर तुला हुआ है. उन्होंने इल्जाम लगाते हुए कहा कि पिछली बार भी जब उन्होंने प्रशासन से पूछा था तो उसने जवाब दिया था कि वह यहां नए हैं और उन्हें इस परम्परा के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. लेकिन इस साल उनमें से कुछ अधिकारी यहां प्रशासन में मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उनकी अनदेखी की जा रही है.

उन्होंने कहा कि प्रशासन चंबा जिला की सदियों से निभाई जा रही इस परंपरा को बंद करने पर तुला हुआ है. उन्होंने कहा कि मणिमहेश यात्रा के दौरान चढ़ावे में जो दशनामी अखाड़ा को हिस्सा मिलता था. वह भी उन्हें नहीं मिल रहा है. उसी से वह यहां साधु संतों का खर्चा उठाया करते थे. लेकिन अब प्रशासन इस यात्रा को बंद करने पर ही तुला हुआ है. उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस परंपरा को कायम रखा जाए और यात्रा को पारंपरिक तरीके से निकालने की कृपा करें.