चंद्रयान-2 20 अगस्त को चन्द्रमा की कक्षा में करेगा प्रवेश

ख़बरें अभी तक। 22 जुलाई 2:43 पर श्रीहरिकोटा से इसरो द्वारा लांच किया गया चंद्रयान-2 पृथ्वी की कक्षा को छोड़कर चंद्रमा की ओर अग्रसर हो गया है। इसरो के अनुसार अब तक इस यान के सभी उपकरण सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं। इस प्रक्रिया के दौरान 1203 सेकंड तक स्पेसक्राफ्ट के लिक्विड इंजन को चलाया गया। चंद्रयान-2 20 अगस्त को चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा। अब तक पांच बार इस स्पेसक्राफ्ट की कक्षा में परिवर्तन किया गया है। बता दें कि चंद्रयान-2 7 सितम्बर को चन्द्रमा की सतह पर लैंड करेगा।

चंद्रयान-2 का लैंडर “विक्रम” 6-7 सितम्बर को चन्द्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। चंद्रयान -2 के लैंडर का नाम “विक्रम” रखा गया है, जबकि इसके रोवर का नाम “प्रज्ञान” रखा गया है। चंद्रयान-2 भारत का चंद्रमा पर दूसरा मिशन है, यह भारत का अब तक का सबसे मुश्किल मिशन है। यह 2008 में लांच किये गए मिशन चंद्रयान का उन्नत संस्करण है। चंद्रयान मिशन ने केवल चन्द्रमा की परिक्रमा की थी, परन्तु चंद्रयान-2 मिशन में चंद्रमा की सतह पर एक रोवर भी उतारा जायेगा।

इस मिशन के सभी हिस्से इसरो ने स्वदेश रूप से भारत में ही बनाये हैं, इसमें ऑर्बिटर, लैंडर व रोवर शामिल है। इस मिशन में इसरो पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड रोवर को उतारने की कोशिश करेगा। यह रोवर चंद्रमा की सतह पर भ्रमण करके चन्द्रमा की सतह के घटकों का विश्लेषण करेगा। चंद्रयान-2 को GSLV Mk III से लांच किया जायेगा। यह इसरो का ऐसा पहला अंतर्ग्रहीय मिशन है, जिसमे इसरो किसी अन्य खगोलीय पिंड पर रोवर उतारेगा। इसरो के स्पेसक्राफ्ट (ऑर्बिटर) का वज़न 3,290 किलोग्राम है, यह स्पेसक्राफ्ट चन्द्रमा की परिक्रमा करके डाटा एकत्रित करेगा, इसका उपयोग मुख्य रूप से रिमोट सेंसिंग के लिए किया जा रहा है।

6 पहिये वाला रोवर चंद्रमा की सतह पर भ्रमण करके मिट्टी व चट्टान के नमूने इकठ्ठा करेगा, इससे चन्द्रमा की भू-पर्पटी, खनिज पदार्थ तथा हाइड्रॉक्सिल और जल-बर्फ के चिन्ह के बारे में जानकारी मिलने की सम्भावना है चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करना इस मिशन का सबसे कठिन हिस्सा होगा, अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ही यह कारनामा कर पाए हैं।