HP: सीएम का पलटवार, धारा 118 की आड़ में न करे राजनीति

ख़बरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश में गैर-कृषक प्रदेश में ज़मीन खरीदने का हक नहीं रखते हैं। हिमाचल प्रदेश में भूमि मुजारा कानून की धारा 118 के अंतर्गत कोई भी बाहरी व्यक्ति यह गैर-कृषक व्यक्ति जिसके पास बेशक हिमाचल का राशन कार्ड ही क्यों न हो, हिमाचल में ज़मीन नहीं खरीद सकता है। 1972 के यह भूमि मुजारा कानून की धारा 118 प्रभाव में आई थी, जिसके तहत कोई भी गैर-कृषक अथवा गैर-हिमाचली प्रदेश में ज़मीन नहीं खरीद सकता है। साल 1972 में हिमाचल प्रदेश में एक विशेष कानून बनाया गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि दूसरे राज्यों के पैसे और सुविधा संपन्न लोग प्रदेश में धड़ाधड़ जमीनें ना सकें।

दरअसल, सत्तर के दशक में हिमाचल की आर्थिकी इतनी मजबूत नहीं थी, तो आशंका जताई गई कि लोग अपने जमीनें बेच देंगे। ऐसे में हिमाचली भूमिहीन हो जाएंगे। मुख्य मंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि जो लोग इस तरह की भ्रांतियां फैलाने का काम कर रहें है उनको प्रदेश के नियमों के बारे में जानकारी नहीं है। उन्हें हिमाचल के कांग्रेसी नेताओं से जानकारी ले लेनी चाहिए। क्योंकि हिमाचल प्रदेश भूमि मुजारा कानून एवं जम्मू कश्मीर कि 35 ए में बहुत फर्क है। हिमाचल में कारोबार के लिए सीमित भूमि खरीद सकते हैं।

वर्तमान में प्रदेश सरकार उद्योग स्थापित करने के लिए धारा 118 के नियमों में ढील देकर हिमाचल को आदर्श निवेश स्थल के तौर पर विकसित कर रही है, लेकिन यह सीमित क्षेत्र में है और शर्तों पर। जबकि जम्मू कश्मीर में बिल्कुल अलग स्थिति है। हिमाचल सरकार ने करीब 80 गैर हिमाचलियों और गैर कृषकों को जमीन खरीदने के लिए धारा 118 के तहत मंजूरी दे दी है। इनमें वर्ष 2014, 2017, 2018 और 2019 के कई आवेदन थे। उधोगों को लगाने के लिए 118 के तहत ओर भी अनुमति दी जा सकती है।

इनमें ज्यादातर मंजूरियां औद्योगिक इकाइयां लगाने की हैं। हिमाचल में गैर हिमाचलियों और सूबे में रह रहे गैर कृषकों को हिमाचल प्रदेश भू-सुधार एवं मुजारियत अधिनियम-1972 की धारा-118 के तहत मंजूरी लेनी होती है। हिमाचल एवं जम्मू कश्मीर के बीच काफी अंतर है। दोनों कानूनों का आपस में दूर-दूर तक नाता नहीं है। हिमाचल में सरकार 118 के तहत उद्योगों को  छुट दे सकती है जबकि J&K में ऐसा नहीं है। वहां तो लड़की शादी करके चाहे जहां भी जाए वह जमीन कि हक़दार नहीं होती है।