सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा है ‘रक्षा बंधन’ का इतिहास

ख़बरें अभी तक। रक्षा बंधन का त्योहार आने वाला है, इस बार रक्षा बंधन 15 अगस्त, 2019 को है। इस बार राखी बांधने का शुभ मूहुर्त सुबह 5 बजकर 49 मिनट से लेकर शाम के 6 बजकर एक मिनट तक बजे तक है। क्या आप जानते है भाई बहन द्वारा मनाया जाने वाला इस पवित्र त्योहार का इतिहास क्या है? अगर नहीं तो आज हम आपको रक्षा बंधन के इतिहास के बारे में बताएंगे। रक्षा बंधन का इतिहास सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है।

क्या आप जानते है जिन बहनों ने रक्षा बंधन के त्योहार की शुरुआत की थी वे असल में सगी बहने नहीं थी। जी हां इतिहास के पन्नों को देखें तो इस त्योहार की शुरुआत की उत्पत्ति लगभग 6 हजार साल पहले बताई गई है। इसके कई साक्ष्य भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं।  रक्षाबंधन की शुरुआत का सबसे पहला साक्ष्य रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं हैं। मध्यकालीन युग में राजपूत व मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था।

रानी कर्णावती चितौड़ के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।

इतिहास का एक अन्य उदाहरण कृष्ण व द्रोपदी को माना जाता है। शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण के बाएं हाथ की ऊंगली से खून बहने लगा। जिसे देख दुखी द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर कृष्ण की ऊंगली में बांध दिया। माना जाता है कि तभी से श्री कृष्ण द्रौपदी को अपनी बहन मानते थे।

वर्षों बाद जब पांडव द्रोपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था उस समय भगवान कृष्ण ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए बहन द्रौपदी की लाज बचाई थी। कहा जाता है कि उसी समय से रक्षाबंधन के त्योहार की शुरुआत हुई थी।