जन्म लिंगानुपात दर में शीर्ष स्थान पर पहुंचा उत्तराखंड, कई जिलों में नहीं हुआ सुधार

ख़बरें अभी तक: जन्म लिंगानुपात दर में उत्तराखंड ने देश के शीर्ष पांच राज्यों में जगह बना ली है,लेकिन लेकिन चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़ जिलों में वर्ष 2015 से 2019 तक लिंगानुपात में कोई सुधार नहीं हुआ है। इसी बीच उत्तरकाशी जिले के 133 गांवों में इस साल अप्रैल से जून तक तीन माह में एक भी बेटी के जन्म न होने से सरकारी सिस्टम के साथ ही आंकड़ों पर सवाल खड़े हो गए हैं।

जून 2019 को स्वास्थ मंत्रालय के हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (HMIS) ने जन्म लिंगानुपात की रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में उत्तराखंड में जन्म लिंगानुपात की दर प्रति एक हजार पर 906 थी। 2019 में लिंगानुपात की दर 906 से बढ़ कर 938 तक पहुंच गई है।

बता दें कि पिछले चार सालों के भीतर प्रदेश में जन्म लिंगानुपात की दर में सुधार हुआ है। कुछ जिलों में अपेक्षाकृत कम सुधार हुआ है। इसके लिए विभाग ने संस्थागत डिलीवरी को बढ़ावा देने के साथ समय पर जन्म-मृत्यु पंजीकरण, अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच आदि बिंदुओं पर फोकस कर सभी जिलों को गाइडलाइन जारी की है।