जल संकट और जलवायु परिवर्तन को लेकर शिमला में मंथन

खबरें अभी तक। जल संकट और जलवायु परिवर्तन को लेकर पुरे देश में मंथन किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में भी लगातार ग्लेशियर पिघलने और लैंडस्लाइड जैसी समस्याओं से जूझ रहा है. जिसके कारण जलवायु परिवर्तन भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी जलवायु परिवर्तन का बहुत बुरा असर पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने शिमला में विभिन्न विभागों के साथ तीन दिन की कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें कई वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर अपने विचार सांझा किये है। कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के नुक्सान और उससे निपटने के लिए क्या किया जाये इसको लेकर सुझाव भी दिए गए।

विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी के निदेशक डीसी राणा ने बताया कि क्लाइमेंट चेज के कारण कृषि,बागवानी ,पानी ,वन और प्रकृति पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। जिसमें पानी एक बहुत बड़ा संकट है हर साल पानी की उपलब्धता कम हो रही जो कि चिंता का विषय है। तापमान में बढ़ोतरी हो रही जिससे प्राकृतिक स्त्रोत भी खत्म हो रहे है इससे कृषि और बागवानी पर भी बुरा असर पड़ रहा है। इस समस्या से कैसे निपटा जाए इसको लेकर वैज्ञानिको के साथ विभागों के अधिकारियों ने चर्चा कि है ताकि भविष्य में नुक्सान को कम किया जा सके।