नवजोत सिंह सिद्धू ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा, एक महीने पहले राहुल गांधी को लिखा था पत्र

ख़बरें अभी तक। चुनाव परिणाम आने के बाद लगातार पंजाब कांग्रेस में तनातनी का माहौल चल रहा था। जहां पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब के कैबिनेट मिनिस्टर के बीच नवजोत सिंह सिद्धू के बीच कोल्ड वॉर नजर आ रही थी।

नवजोत सिंह सिद्धू यह गुरूर था कि हाईकमान में उनकी बहुत चलती है इसलिए उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बात की राहुल गांधी से मिलने दिल्ली चले गए और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू का महकमा भी बदल दिया और उन्हें कल बहुत मिनिस्ट्री से हटाकर बिजली महकमा दे दिया लेकिन 1 महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी नवजोत सिद्धू ने अपना महकमा नहीं संभालना क्योंकि वो हमेशा से ही महत्वाकांक्षी नेता माने जाते हैं और बीजेपी भी उन्होंने इसी वजह से छोड़ी थी।

आज नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस में एक नया मोड़ लाते हुए ट्वीट किया सावदा से बताया कि 10 जून को अपना इस्तीफा राहुल गांधी को दे आए हैं 1 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है वह रेसिग्नेशन दे चुके हैं और अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भेजेंगे हुआ है क्योंकि कांग्रेस हाईकमान खुद अभी राष्ट्रीय अध्यक्ष चयन करने में लगी हुई है और राहुल गांधी से इस्तीफा दे चुके हैं तो ऐसे ही नवजोत सिंह सिद्धू का इस वक्त ट्वीट करना कहीं ना कहीं दबाव बनाने के लिए था। लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पंजाब में कांग्रेस का मतलब कैप्टन अमरिंदर सिंह है और लोकसभा चुनावों में पंजाब की जनता अगर सांसद जीते हैं तो वो कैप्टन अमरिंदर सिंह की बदौलत ही जीते हैं।

लंबे समय से नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी और आज उन्होंने ट्वीट करके खलबली मचा दी अभी तक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से कोई भी ट्वीट या कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है उनके इस्तीफे को लेकर लेकिन पंजाब कांग्रेस के कई नेता लगातार सिद्धू को यह सुझाव दे रहे थे कि वो अपना महकमा चल संभाल ले क्योंकि धान की फसल का टाइम है ऐसे में बिजली की समस्या काफी ज्यादा पंजाब की जनता को होती है लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू ने महकमा नहीं संभाला।

अभी देखना होगा कि पंजाब कांग्रेस की आगे की रणनीति क्या होती है और कैप्टन अमरिंदर सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार करते हैं या फिर नहीं यह हाईकमान इस पर क्या फैसला लेती है। लेकिन कहीं ना कहीं सिद्धू ने खुद को साइडलाइन कर दिया है।