ISRO करेगा चंद्रयान-2 लॉन्च,आम लोग भी देख सकेंगे लॉन्चिंग

ख़बरें अभी तक। ISRO (Indian Space Research Organization) ने चंद्रयान-2 मिशन की तैयारी कर ली है। वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने आम लोगों के इसे देखने के लिए ऑनलाइल रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की है। इसरो ने ट्वीट करके जानकारी दी है कि 3 और 4 जुलाई 2019 की मध्यरात्रि 12 बजे से इसरो अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू कर देगा। बता दें कि इसरो 14 और 15 जुलाई की रात 2 बजे चंद्रयान-2 लॉन्च करेगा।

वहीं अभी श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस पोर्ट चंद्रयान-2 को तैयार किया जा रहा है। मंगलवार को चंद्रयान-2 की रेडियो फ्रिक्वेंसी जांची गई। इक्विमेंट-बे कैमरा लगाया गया। और सभी पेलोड्स के एसेंबलिंग की जांच की गई। इसरो का दूसरा चंद्र मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद 2 क्रेटर मैंजिनस सी और सिंपेलिनस एन के बीच मौजूद मैदानी इलाके में उतरेगा। बता दें कि अभी तक इस इलाके में किसी भी देश ने अपना चंद्र मिशन नहीं किया है।

दक्षिणी ध्रुव का चुनाव इसलिए किया गया है क्योंकि वहां ज्यादातर हिस्सा अंधेरे में रहता है। अंधेरे में रहने के कारण वहां पानी होने की संभावना ज्यादा है। इसके साथ ही चांद के दक्षिणी ध्रुव के क्रेटर हैं जो बेहद ठंडे हैं। यहां सोलर सिस्टम के पुराने जीवाश्म मिलने की भी संभावना है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से 100 किमी ऊपर चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा। इसमें 8 पेलोड हैं। और इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर और रोवर तक पहुंचाएगा।

लैंडर का नाम इसरो के संस्थापक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। इसमें 4 पेलोड हैं। यह 15 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। 27 किलो के इस रोबोट पर ही पूरे मिशन की जिम्मेदारी है। इसमें 2 पेलोड हैं। चांद की सतह पर यह करीब 400 मीटर की दूरी तय करेगा। इस दौरान यह विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेगा। फिर चांद से प्राप्त जानकारी को विक्रम लैंडर पर भेजेगा। लैंडर वहां से ऑर्बिटर को डाटा भेजेगा। फिर ऑर्बिटर उसे इसरो सेंटर पर भेजेगा। और प्रज्ञान से भेजी गई जानकारी धरती तक आने में 15 मिनट लगेंगे।

चंद्रयान-2 इसरो के सबसे ताकतवर रॉकेट जीएसएलवी मार्क-3 से पृथ्वी की कक्षा के बाहर छोड़ा जाएगा। फिर उसे चांद की कक्षा में पहुंचाया जाएगा। करीब 55 दिन बाद चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा। फिर लैंडर चांद की सतह पर उतरेगा। इसके बाद रोवर उसमें से निकलकर विभिन्न प्रयोग करेगा।चंद्रयान-2 चांद की सतह, वातावरण और मिट्टी की जांच करेगा। और ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर पर नजर रखेगा। इसके साथ रोवर से मिली जानकारी को इसरो सेंटर भेजेगा।