कमी निकालने वालों से बनाएं दूरी, इनके आसपास होता है नकारात्मक माहौल…

खबरें अभी तक। कई बार हमें अपने आसपास ऐसे लोग मिलते हैं, जो दूसरों में सिर्फ कमियां ही कमियां निकालते रहते हैं। मगर इनसे सुधार के बारे में पूछ लो तो पीछे हट जाते हैं। ऐसे लोगों से सतर्क रहने की जरूरत होती है, क्योंकि इनकी कमी निकालने की आदत किसी को डिप्रेशन में भी धकेल सकती है। ऐसे लोगों के आसपास रहने से ही माहौल नकारात्मकता से भर जाता है। इनके संपर्क में ज्यादा देर तक रहने से बेहतर है, अपने काम से काम रखा जाए। अगर यह किसी में कोई कमी निकाल भी रहे हैं, तो उनकी तरफ ध्यान ही न दिया जाए। ऐसे लोगों की बातों को सुनकर उसे दिल में बिठाने से बेहतर है कि अगर अपने अंदर कोई कमी है तो उसे दूर करें और अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ें। ऐसा ही कुछ आज की इस कहानी में भी बताया गया है।

एक बार की बात है, किसी गांव में एक आदमी रहता था। उसे चित्रकारी करने का शौक था। एक दिन वह एक ऐसे आदमी से मिला जो शहर का मशहूर चित्रकार था। वो आदमी चित्रकार से बोला, गुरु जी आपसे मुझे चित्रकारी सीखनी है। आप मुझे खूबसूरत चित्र बनाना सिखा दीजिए। आप सिखाइए कि एक खूबसूरत चित्र कैसे बनाया जाता है।

गुरु ने कहा मैं जरूर आपको सिखाऊंगा, कल से तुम मेरे पास आ जाना कल से सिखाना शुरू कर दूंगा।
कई महीनों तक उस आदमी ने, चित्रकारी की बारीकियां सीखीं और इसके बाद, एक चित्र बनाया। उसे वह चित्र बहुत पंसद आया। लेकिन साथ-साथ उसके मन में यह विचार भी आया। कि क्या लोग इस चित्र को पंसद करेगें। इसलिए उसने लोगों की पसंद जानने का एक तरीका सोचा।

उसने शहर के बीच चौराहे पर अपने चित्र को एक कुर्सी पर रख दिया। चित्र के साथ ही उसने एक सूचना भी लगाई जिस पर लिखा हुआ था, मैंने बहुत मेहनत और लगन से यह चित्र बनाया है। मैंने इस चित्र में कोई कमी नहीं की है। फिर भी मैं आप लोग की राय जानना चाहता हूं। इसलिय आप मेरे कलाचित्र को ध्यान से देखने की कृपा करें और जहां आपको कोई कमी नजर आए, वहां पर एक टिक लगा दें। मैं इसमें सुधार करूंगा धन्यवाद।

जब दूसरे दिन वह आदमी चौराहे पर आया तो, वहां रखी पेंटिंग को देखकर उसे बहुत दुःख हुआ। अपनी चित्रकारी को देखकर उसका दिल रो पड़ा। उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसके चित्र पर हर जगह टिक लगा हुआ था। टिक के कारण उसका मूल चित्र नजर नहीं आ रही थी। बड़े ही दुखी मन से उसने अपना चित्र उठाया और सीधा अपने गुरु के घर जा पहुंचा।

गुरु को देखते ही वह रो पड़ा। उन्होंने उसकी हालत देख पूछा, क्या हुआ पुत्र तुम रो क्यों रहे हो? मुझे बताओ।
उसने ने कहा, गुरुजी मैं चित्रकारी में फेल हो गया। मैंने जो चित्र बनाया था। वह लोगों को पसंद नहीं आया। मेरा चित्रकार बनने का सपना टूट गया गुरु जी और फिर उस आदमी ने पूरी कहानी गुरुजी को सुनाई। उसकी बात सुनकर गुरुजी हंसने लगे।

गुरुजी बोले, तुम परेशान मत हो। तुम्हारा कोई सपना नहीं टूटा हुआ है। मैं तुम्हारी सहायता करूंगा। जाओ तुम मेरे लिए ठीक वैसा ही चित्र बना कर लाओ। आदमी ने कहा, ठीक है गुरुजी, मैं 3 दिन के बाद आपको वैसा ही चित्र बनाकर दे दूंगा। तीन दिन बाद वह ठीक वैसा ही चित्र बनाकर गुरु जी के पास लाया।

गुरु जी ने आदमी से कहा कि तुम मुझे उसी चौराहे पर ले चलो। जहां तुमने चित्र रखा था। आदमी गुरु जी को चौराहे पर ठीक उसी जगह पर ले गया। गुरु जी ने चित्र को ठीक उसी स्थान पर रख दिया। और अब दूसरा सुचना पत्र लगाया जिस पर लिखा था, मैं एक नया कलाकार हूं, मैं अपनी कला के बारे में आप लोगों की राय जानना चाहता हूं। आप मेरे चित्र को ध्यान से देखने की कृपा करें, और जहां कहीं भी इस चित्र में आपको कोई कमी नजर आए। चित्र के पास रखे ब्रश और रंग से उसे ठीक कर दें। इससे मुझे आप लोगों से बहुत मदद मिलेगी।

और फिर गुरु जी और आदमी वहां से चले गए। दूसरे दिन दोनों नें ठीक समय पर वहां आकर देखा। उनके आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा क्योंकि चित्र में एक भी सुधार नहीं हुआ था। गुरुजी ने उससे कहा, देखो तुम कितने महान चित्रकार बन गए हो। किसी को तुम्हारे चित्र में कोई कमी नजर नहीं आई। गुरुजी की बात से चित्रकार आदमी का चेहरा खुशी से खिल उठा। उसका खोया हुआ आत्मविश्वास भी दोबारा लौट आया।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है 

  • लोग हर किसी के काम में कमी ढूंढ लेते हैं, लेकिन उसमें सुधार नहीं कर सकते हैं क्योंकि हर काम में कमी निकालने वाले लोग इस काबिल ही नहीं होते की वह कमियों को सुधार सकें।
  • इसलिए इस तरह के लोगों की बातों को दिल पर लेने से बेहतर है, अपना काम ध्यान से करते रहें। कमियां हर किसी में होती हैं, उन्हें सकारात्मकता के साथ सुधारने के लिए हमेशा प्रयासरत रहें।
  • नकारात्मक लोग अपनी निम्न सोच से चारों तरफ नकारात्मक माहौल बना देते हैं। ऐसे लोगों के संपर्क में अधिक देर तक अपना समय बर्बाद न करें।