सफलता के लिए दूसरे का नजरिया समझना भी है जरूरी है, एक तरफा निर्णय या सोच बेहद खतरनाक होता है……

खबरें अभी तक। जीवन में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब किसी के साथ हमारे विचार नहीं मिलते हैं। विचारों का न मिलना कोई बुरी बात नहीं होती है। एक-दूसरे के विचारों का सम्मान करना जरूरी होता है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है सामने वाले शख्स का नजरिया समझना। पेशेवर जिंदगी हो या निजी, हम जहां से किसी समस्या या मसले को देख रहे हैं जरूरी नहीं कि सब वही देखें। अपनी सोच या नजरिये को अंतिम मान लेना हमें जीवन में छोटी सफलता तो दिला सकता, मगर लंबी रेस का घोड़ा बनने के लिए दूसरों का नजरिया समझना भी जरूरी है। हमारी आज की कहानी भी यही बताती है :

एक जंगल में एक बहुत पुराने पेड़ की घनी छाया में एक घुड़सवार रुका। वह कोई सैनिक था। उसकी निगाह पेड़ की एक शाखा के साथ बंधी एक ढाल पर जा पड़ी, जो बहुत ही खूबसूरत दिखाई पड़ती थी। अचानक वो अपने आप बोल उठा, वाह! कितनी सुंदर ढाल है। खून सी सुर्ख लाल। उसी समय विपरीत दिशा से एक अन्य सैनिक भी वहां पहुंचा। उसकी निगाह भी ऊपर की ओर चली गई और ढाल की खूबसूरती ने उसे भी बांध लिया। मगर ढाल का रंग लाल नहीं, हरा था। इसीलिए उसने पहले वाले सैनिक से कहा, महाशय, ढाल तो वाकई बड़ी खूूबसूरत है परंतु इसका रंग तो हरा है, लाल नहीं।

दूसरे सैनिक की यह बात सुनकर पहले सैनिक ने क्रोधित होकर कहा, मैं तुम्हारी तरह बेवकूफ नहीं कि हरे और लाल रंग में भी फर्क न कर सकूं? ढाल का रंग लाल है, हरा नहीं। दूसरे सैनिक को और भी अधिक क्रोध आ गया। इसी बात पर दोनों की अनबन हो गई और कहासुनी के बाद नौबत लड़ाई तक आ गई। दोनों ने तलवारें खींच लीं और एक-दूसरे पर वार करने लगे।

संयोग ऐसा हुआ कि एक ही समय दोनों को एक-दूसरे की तलवार लगी और दोनों घायल होकर जमीन पर गिर पड़े। परंतु गिरने के साथ ही दोनों की स्थिति बदल गई। पहला सैनिक वहां जा गिरा, जहां से खड़े होकर दूसरे सैनिक ने ढाल को देखा था और दूसरा सैनिक वहां गिरा, जहां पहला सैनिक खड़ा था। दोनों ने एक बार फिर नजरें उठाकर ढाल की ओर देखा। और यह क्या, दोनों ढाल की ओर देखते ही हैरान रह गए। दोनों ही सैनिक अपने स्थान पर सही थे। वास्तव में ढाल एक और से लाल रंग की तथा दूसरी ओर से हरे रंग की थी।

इस कहानी से हम सीख सकते हैं : 

हर चीज के कई पहलू होते हैं। हो सकता है कि आपको कोई बात जिस तरह से समझ आ रही हो, उसे लेकर किसी दूसरे की प्रतिक्रिया कुछ और हो। हमें अपने साथ-साथ दूसरों के नजरिए को भी समझना चाहिए, ताकि ऐसी स्थिति से बचा जा सके।

हमें किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले दूसरों के नजरिए को भी समझने की काबीलियत होनी चाहिए। अपनी ही सोच को सही और अंतिम मान लेना हमें अडि़यल और घमंडी बना सकता है। इस तरह के रवैये की वजह से हमारे हाथ से कई सुनहरे मौके निकल सकते हैं।