कान छिदवाने के बाद कैसे करे केयर, जानिए कुछ जरुरी टिप्स….

खबरें अभी तक। कान छिदवाने के बाद देखभाल में कमी के कारण संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है। और कानों के छेद के पक जाने पर इसे ठीक होने में लंबा समय लग सकता। इसलिए कान छिदवाने के बाद उसकी देखभाल कैसे करें के बारे में जानना बहुत जरुरी हो जाता है। आमतौर पर कान छिदवाना एक पुरानी भारतीय परंपरा (tradition) है। देश के हर कोने में महिलाएं कान छिदवाती हैं और इसमें आभूषण पहनती हैं। लेकिन बदलते समय के अनुसार कान छिदवाना एक फैशन बन गया और महिलाओं के साथ ही अब कुछ पुरुष भी कान छिदवाने लगे हैं। हम अक्सर देखते हैं कि ज्यादातर महिलाओं के कान की सतह छिदी हुई होती है जबकि कुछ महिलाओं का कान एक सिरे (rear) से लेकर दूसरे सिरे तक छिदा हुआ होता है। हालांकि यह अपनी पसंद पर निर्भर करता है।

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कान छिदवाने में काफी दर्द होता है और कभी कभी घाव न ठीक होने के कारण लंबे समय तक दर्द बना रहता है। वास्तव में महिलाएं कान तो छिदवा लेती हैं लेकिन कम ही लोगों को इसकी अच्छे तरीके से देखभाल करना आता है। अगर आपने हाल में ही कान छिदवाया है या फिर कान छिदवाने की योजना बना रही हैं तो इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कान छिदवाने के बाद कैसे करें उनकी देखभाल।

कान छिदवाने के बाद इसे छूने से पहले हाथ धोएं –

आमतौर पर ज्यादातर महिलाएं भूल जाती हैं कि कान छिदवाने के बाद उस स्थान पर एक खुले घाव ( open wound) के जैसा होता है। इसलिए छिदे हुए कान की देखभाल करने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने कानों को छूने से पहले साबुन से अच्छी तरह से हाथ साफ कर लें ताकि अनावश्यक बैक्टीरिया और रोगाणु (germs) कान के छिदे हुए क्षेत्र में प्रवेश ना करें।

ऐसे करें कान छिदवाने के बाद देखभाल –

वास्तव में कान छिदवाने के बाद एक हल्का सा घाव (sore) जैसा बन जाता है। इसे छूने, रगड़ खाने एवं रात को सोते समय कुछ चीजों से बचाना होता है, जब तक कि यह पूरी तरह से सूख ना जाए। जब एक बार यह सूख जाता है तो फिर किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। आइये जानते हैं कि कान छिदवाने के बाद घर पर कैसे करें देखभाल।

कान छिदवाने के बाद इसकी अच्छे से सफाई करें –

कान छिदवाने के बाद जो सबसे जरूरी देखभाल होती है वह है छिदे हुए कान के आसपास सफाई रखना। इस क्षेत्र को अच्छी तरह से साफ रखने से संक्रमण को रोका जा सकता है जिससे घाव जल्दी सूखता है। आमतौर पर संक्रमण से बचने के लिए आप नमक पानी (salt water) से कान के घाव को साफ कर सकती हैं। यह प्राकृतिक रुप से कान के घाव को ठीक करने में मदद करता है और छिदे हुए कान के आसपास गंदगी (debris) इकट्ठा नहीं होने देता है।

कान छिदवाने के बाद एल्कोहल या परॉक्साइड का प्रयोग ना करें –

कान छिदवाने के बाद यदि आप घाव को ठीक करने के लिए एल्कोहल या परॉक्साइड लगाकर सफाई करने वाली हैं तो यह भूल कभी ना करें। वास्तव में यह छिदे हुए कान के आसपास के क्षेत्र को सूखा देता है जिसके कारण स्वस्थ एवं नई कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इसके अलावा यह घाव ठीक होने की प्रक्रिया (healing process) को भी धीमा कर देता है। इसलिए जरूरी है कि कान छेदने वाले से सलाह लेकर की कोई द्रव (liquid) कान में लगाएं।

कान छिदवाने के बाद इसे छूएं नहीं –

कान छिदवाने के बाद उसे बार बार हाथों से छूना (fingering) नहीं चाहिए। कान में आपने जो रिंग पहन रखी है उसे भी बार बार इधर उधर ना घुमाएं। वास्तव में आपकी उंगलियों और हाथों में कई सारे बैक्टीरिया होते हैं जो काने के छिदे हुए हिस्से को संक्रमित (infect) कर देते हैं। इसके अलावा कान के छेद में जो तार या रिंग डाली गई हो उसे बार बार हिलाने से घाव से खून निकल सकता है।

कान छिदवाने के बाद इस पर मरहम ना लगाएं –

कान छिदवाने के बाद अक्सर देखा जाता है कि ज्यादातर महिलाएं इसपर एंटी बैक्टीरियल क्रीम लगा देती हैं। वास्तव में घाव पर एंटीबैक्टीरियल मलहम या कोई अन्य क्रीम लगाने से फायदे से ज्यादा इसके नुकसान होते हैं। यह उस क्षेत्र को बाधित (block)  कर देता है जिसके कारण वहां हवा और ऑक्सीजन नहीं पहंच पाता। इसके साथ ही क्रीम लगाने से गंदगी (debris) भी साथ में ही जम जाती है और छिदे हुए कान का घाव ठीक होने की बजाय बैक्टीरिया और इंफेक्शन को दावत देता है।

कान छिदवाने के प्रकार –

यदि आप अपना कान छिदवाने में दिलचस्पी (zest) रखती हैं तो आपको पहले यह जरूर जान लेना चाहिए कि कान कितने तरह से छिदवाया जाता है। वास्तव में हमारे आसपास कान छिदवाने के तेरह या इससे अधिक विकल्प मौजूद होते हैं। इसके अलावा कान छिदवाने के प्रकार पर ही यह भी निर्भर होता है कि इसे ठीक होने में कितना समय लगेगा।

  • इयरलोब पियर्सिंग
  • कार्टिलेज पियर्सिंग
  • ट्रांसवर्स लोब पियर्सिंग
  • ऑर्बिटल पियर्सिंग
  • सरफेस पियर्सिंग
  • ट्रैगस पियर्सिंग
  • एंटी ट्रैगस पियर्सिंग
  • हेलिक्स पियर्सिंग
  • कोंच पियर्सिंग
  • स्नग पियर्सिंग

आमतौर पर कुछ महिलाएं फैशन के अनुसार इनमें से कान छिदवाने के प्रकार का चयन करती हैं और फिर कान छिदवाती हैं। कुछ महिलाएं अपने कान के ऊपरी हिस्से से लेकर निचली सतह (lower surface) तक छिदवाती हैं। यह पूरी तरह महिला की पसंद पर निर्भर करता है।

कान छिदवाने के बाद किस तरह की चीजें होना सामान्य है –

कान छिदवाने के तुरंत बाद या शुरूआती दिनों में रक्तस्राव, सूजन, कोमलता (tenderness) और कान के उस क्षेत्र पर घाव जैसा दिखायी देना सामान्य है।

घाव सूखते समय कान की त्वचा का रंग उड़ जाना, खुजली होना, सफेद पीले पदार्थ का स्राव होना और कान में पहनी गई रिंग पर कुछ परतें (crust ) जमना स्वाभाविक है। जैसे जैसे यह ठीक होता है, कान में पहनी गई रिंग अधिक टाइट होती जाती है।

जब कान का घाव सूख जाए और अगर कान में पहनी हुई रिंग आसानी से इधर उधर ना घूमे तो इसे जबरदस्ती ना घुमाएं। कान के घाव को नियमित रुप से साफ रखें और यदि इस दौरान कान के घाव से हल्की महक (odour) आती है तो यह भी काफी हद तक सामान्य ही है।

जब घाव सूखने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो कान के घाव से कोई परेशानी नहीं होती है। लेकिन वास्तव में कान के बाहर के ऊतक तो सूख जाते हैं लेकिन अंदर का भाग नाजुक (fragile) होता है जिसे सूखने में समय लगता है इसलिए सूखने की प्रक्रिया पूरी होने तक कान को लगातार साफ करते रहें।

कान छिदवाने के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है –

पियर्सिंग पूरे शरीर पर की जाती है। हालांकि शरीर के अलग अलग हिस्सों की पियर्सिंग को ठीक होने में अलग अलग समय लगता है। सौभाग्य से इनमें कान की पियर्सिंग सबसे जल्दी ठीक होती है।

अगर आपने इयर लोब को छिदवाया है तो यह सबसे जल्दी यानि चार से छह हफ्तों में ही ठीक हो सकता है। जबकि कार्टिलेज पियर्सिंग को ठीक होने में इससे लंबा समय लगता है।

कुछ माता-पिता अपनी बेटियों के कान छिदवाते हैं जब वे बच्चे होते हैं, जबकि अन्य प्रतीक्षा (wait) करते हैं जब तक कि उनके बच्चे अपना कान खुद ना छिदवाना चाहें। वास्तव में कान छिदवाने के बाद काफी देखभाल (care about) की जरूरत होती है इसलिए बच्चे की सहमति होना भी जरूरी है।