बेटे की मौत के बाद माँ ने लिया अहम फैसला, सब ने की सरहाना

ख़बरें अभी तक। शिमला में एक महिला ने अपने 23 साल के बेटे अशोक की आंखे दान में देकर एक मिसाल कायम की है। बता दें कि ममता के बेटे की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। बेटे से सदा के लिए बिछड़ने का गम तो ममता को रहेगा ही लेकिन ममता ने जो फैसला लिया है उसकी सभी लोग सरहाना कर रहे है।

अशोक की एक आंख दृष्टिबाधित राजीव को लगाई गई है। अब ममता को राजीव में उसका बेटा नजर आता है। राजीव भी दान में मिली दृष्टि से दुनिया का नूर देख रहा है। इसी तरह हिमाचल के एक हजार लोगों ने संकल्प लिया है कि वे मरने के बाद नेत्रदान करेंगे। नेत्रदानियों की वजह से प्रदेश में 220 दृष्टिबाधित दुनिया देखने में सक्षम बने हैं।

प्रदेश में दो आइ बैंक हैं। इनमें इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आइजीएमसी) एवं अस्पताल शिमला के नेत्र बैंक की स्थापना अगस्त 2010 में की गई थी। करीब नौ वर्ष के दौरान एक हजार लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लिया है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में भी नेत्र बैंक खोला गया है लेकिन अभी इसकी शुरुआत ही हुई है।

नेत्रदान के लिए अभियान चलाकर जागरूक किया जा रहा है। लोगों को चाहिए कि वे नेत्रदान का संकल्प लें ताकि दृष्टिबाधित लोग उनकी वजह से दुनिया देख सकें। कई लोगों को लगता है कि नेत्रदान करने पर पूरी आंख निकाली जाती है। वास्तविकता यह है कि मात्र कोर्निया निकाला जाता है। नेत्रदान के लिए किसी व्यक्ति की मौत के छह घंटे के भीतर कोर्निया निकाला जाना जरूरी है। ऐसे कोर्निया को एक सप्ताह के भीतर प्रत्यारोपित करना आवश्यक है।