अगर आप भी Period से जुड़ी इन समस्याओं से है परेशान तो, यह खबर जरूर पढ़े

खबरें अभी तक। लड़कियों के लिए मासिक धर्म समय पर ना आना या फिर मासिक धर्म से जुड़ी अनेको ऐसी समस्याए होती हैं जिनको लेकर लड़किया अक्सर परेशान रहती है। लेकिन अगर हम देखे तो ऐसा नही हैं कई बार कुछ कारणों की वजह से होता है। आइये आज हम आपको इनसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देते है-

मासिक धर्म का न आना आपके रूटीन में अचानक बदलाव के कारण हो सकता है| जैसे -क्या आपने नया जॉब या कॉलेज शुरू किया है? या फिर आपने सुबह उठने के टाइम में बदलाव किया है? आप लगातार कई रातों को जागकर काम कर रही हैं?  जी हां आपके रूटीन में बदलाव के कारण आपकी साइकिल भी चेंज होती है यही मेन कारण है जिससे हॉर्मोन्स कंफ्युज़ हो जाते हैं। लेकिन वहीं  जब ओव्युलेशन के टाइम आप अपने रुटीन में बदलाव करती हैं। इसमें स्ट्रैस लेने की कोई बात नही है, जब आपकी बॉडी नए रुटीन को Adopt कर लेगी तो सब कुछ नॉर्मल हो जाएगा। इसके लिए थोड़ा पेशेंस रखना जरूरी है।

अगर आप Travel  कर रहे तो इसका फर्क आपके पीरियड पर भी पड़े इसका ये मतलब नहीं है कि आपका पीरियड भी छुट्टी पर है! कई बार ट्रेवल लंबी फ्लाइट्स नई जगह और टाइम ज़ोन में चेंज के कारण आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक गड़बड़ा जाती है। इसी कारण कई लोगों में पीरियड जल्दी आ जाता है, वहीं कई लोगों में मासिक धर्म में देरी हो जाती है। इसलिए टैंशन ना लें और अपनी ट्रिप एन्जॉय करें और अपनी साइकिल को एडजस्ट होने का टाइम दें।

Stress जैसे ब्रेकअप, फ़ाइनल एग्ज़ाम्स, घर शिफ्ट करना, ऑफिस में डिमांडिंग बॉस  ऐसी कई तनाव देने वाली चीज़ें होती हैं।इससे हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में काफी इफेक्ट पड़ता है। यह एक कारण भी मासिक धर्म के न आने का कारण हो सकती हैं। तनाव के कारण पीरियड पर असर बहुत ज़्यादा होता हैं। इसिलिए आप चिंता कम करें और रिलैक्स रहे, यही पीरियड प्रॉब्लम्स का इलाज है।

अगर आप बीमार है जैसे कभी-कभी जुकाम हो जाता है ये भी आपकी साइकिल को लेट कर सकता है। ऐसा सिर्फ जुकाम से ही नहीं होता है, लेकिन अगर आप साइकिल के बीच में, ओव्युलेशन के समय बीमार पड़ जाती हैं, तो हो सकता है कि इसका असर आपको दो हफ्ते बाद नज़र आए  जैसे कि आपके मासिक धर्म में लेट हो जाए या उस महीने पीरियडस आए ही ना। क्योंकि उस वक्त आपकी बॉडी वाइरस और बैक्टीरिया से लड़ने में इतनी बिजी होती है कि वो उसी टाइम ओव्युलेट करने में असक्षम है।

धीरे-धीरे वज़न बढ़ाना या घटाना एक हेल्दी तरीका है। लेकिन वहीं अगर डाइटिंग, ज़्यादा खाने या ज़्यादा व्यायाम के की वजह से वज़न में बदलाव आता है, जिसका असर आपके पीरियड पर सीधे-सीधे पड़ता है और पीरियड प्रॉब्लम्स हो जाती हैं। इसका मेन कारण आपके लास्ट और लेटेस्ट साइकिल के बीच में होने की वजह से  इस नई बॉडी के साथ एडजस्ट होने में हॉर्मोन्स को काफी परेशानी आती है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक औसत साइकिल 28 दिन का होता है।  लेकिन किसी के लिए ये लंबा तो किसी के लिए ये छोटा होता है। इसी कारण आपका पीरियड कब आएगा, इसे कैलकुलेट करना थोड़ा कन्फ्युजिंग हो जाता है। लेकिन ये घबराने वाली कोई बात नही है। ऐसा होना नार्मल है।

Polycystic Ovarian Syndrome – लेकिन वहीं अगर आपको PCOS (Polycystic Ovarian Syndrome) वाली प्राब्लम है तो ये वाकई घंभीरता से लेने की बात है। आपको बता दें कि कई लड़कियां तो अपनी पूरी ज़िंदगी निकाल देती हैं और उनको पता ही नहीं होता है कि उन्हें ये बीमारी है! ये एक हॉर्मोनल इम्बैलेंस है, जिसमें उन हॉर्मोन्स -एस्ट्रोजेन, प्रोजेस्ट्रोन और टेस्टोस्टेरों – के लेवल बदल जाते हैं, जो आपकी साइकिल से सीधे तौर पर जुड़े होते हैं। अनियमित पीरियड PCOS का एक बहुत ही कॉमन निशान है। लेकिन अगर आप इस परेशानी का सामना कर रहे है तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। साथ ही आपको बता दें कि थाइरोइड भी हॉर्मोन्स से जुडी तकलीफ है, जो आपके पीरियड प्रॉब्लम्स का कारण हो सकता है।