क्या कांग्रेस को है शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की जरुरत या दिग्गज नेताओं की नाकामी रही हार का कारण ?

ख़बरे अभी तक : लोकसभा चुनाव 2019 के नजीतों के बाद कांग्रेस अपनी पराजय के सही कारण नही समझ पा रही है । शनिवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की, जिसे नामंजूर कर लिया गया। इससे ये सपष्ट होता कि देश की जनता भले ही राहुल गांधी को अस्वीकार कर चुकी है , लेकिन कांग्रेस पार्टी गांधी-नेहरु परिवार की छत्रछाया से दूर नही होना चाहती । कांग्रेस के दिग्गज नेता ये नही समझ पा रही है कि देश की जनता को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की दरकार है।

तो जंहा कांग्रेस को आज अपना बजूद बचाने के लिए मजबूत नेतृत्व की दरकार है ,वही राहुल गांधी अपनी हार का ठीकरा पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सिर फोड़ते दिखे। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल ने कई वरिष्ठ नेताओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी हित से ऊपर अपने बेटों का हित रखा। इस बैठक में राहुल काफी गुस्से में नजर आए। उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं पर अपने बेटों को टिकट दिलाने के लिए जोर डालने का आरोप लगाया। राहुल ने यह बात ज्योतिरादित्य सिंधिया की उस टिप्पणी पर कही जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस को स्थानीय नेताओं को मजबूत बनाना चाहिए। राहुल ने इस बात को उठाया कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां भी पार्टी का खराब प्रदर्शन रहा।

सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटों को टिकट दिलाने के पक्ष मे नहीं थे और इस बात पर उन्होंने बैठक में अपनी नाराजगी भी जाहिर की। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति को टिकट दिलवाया। पार्टी को मिली करारी हार पर राहुल ने पार्टी नेताओं पर ढिलाई बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव अभियान के दौरान भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ राय बनाने के लिए उठाए गए मुद्दों को नेता आगे नहीं ले गए।  सूत्रों का कहना है कि राहुल ने खासतौर से राफेल सौदे और उसके लिए बनाए गए नारे- ‘चौकीदार चोर है’ का जिक्र किया। राहुल का कहना है कि वह संगठन में जवाबदेही चाहते हैं। उन्होंने हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए पार्टी अध्यक्ष के तौर पर इस्तीफा देने की घोषणा की। इससे कार्यसमिति में भावपूर्ण दृश्य नजर आने लगा। वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि उन्होंने आगे बढ़कर लड़ाई लड़ी है और उन्हें निराश होने की कोई जरूरत नहीं है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को भी यही लगता है कि राहुल की जगह लेने वाला कोई नहीं है। इस तरह राहुल का इस्तीफा नामंजूर हो गया ,जबकि सत्य यह है कि कांग्रेस को इस समय ऐसे नेता की जरुरत है , जो पार्टी के अंदर राहुल गांधी की जगह ले सके। सशक्त नेतृत्व के बल पर ही कांग्रेस की अगले 5 सालों पर सता में आने की उम्मीद की जा सकती है।