अगर गर्मी माइग्रेन के दर्द से परेशान करे तो आजमाएं ये टिप्स, मिलेगी राहत….

खबरें अभी तक। ये साल का वही समय है,  जब माइग्रेन पीडि़तों को सावधान रहने की जरूरत होती है। सूरज की तेज धूप व उमस माइग्रेन के लिए ट्रिगर का काम करते हैं। लेकिन इसका यह आशय नहीं कि आप घर से बाहर ही न निकलें। पर कुछ बातों का ध्यान रखना इसके हमले से राहत दे सकता है…………

सूरज की तेज रोशनी में थोड़ी देर समय बिताने का विचार तक माइग्रेन (आधे सिर में दर्द) से पीडि़त रह चुके लोगों को परेशान कर देता है। तापमान में तेज बढ़ोतरी माइग्रेन के लिए ट्रिगर का काम करती है। यही वजह है कि इस समय माइग्रेन अटैक के मामले तेजी से सामने आते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मियां आते ही खानपान की आदतों में बदलाव आ जाता है। सोडा, कोल्ड ड्रिंक्स व कैफीनयुक्त चीजों का सेवन बढ़ जाता है। तेज धूप व रोशनी, वायु प्रदूषण और डीहाइड्रेशन माइग्रेन अटैक की आशंका को बढ़ा देते हैं। गर्मियों में दिन लंबे और रातें छोटी होने के कारण सोने के समय में आने वाला बदलाव भी इसकी वजह बन सकता है। उधर अधिक समय धूप में रहने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन का स्तर प्रभावित होता है, जिससे सिरदर्द और चक्कर आने की आशंका बढ़ जाती है।
उपचार के ये तरीके देते हैं राहत

माइग्रेन से राहत पाने के तरीके…

एलोपैथी
माइग्रेन का उपचार माइग्रेन मैनेजमेंट का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें प्रिवेंटिव ड्रग्स, माइग्रेन सर्जरी, पोषक तत्वों  का सेवन, जीवनशैली में बदलाव और ट्रिगर करने वाले कारकों से बचाव को शामिल किया जाता है। आजकल कई दवाएं प्रचलित हैं, जिनसे माइग्रेन के दर्द को ज्यादा बढ़ने से रोका जा सकता है। माइग्रेन अटैक के कई रोगियों को इन दवाओं से आराम भी मिलता है, पर सोलह वर्ष से छोटे बच्चों को बिना सलाह के इन्हें नहीं लेना चाहिए। लक्षण की शुरुआत होते ही चिकित्सक द्वारा बतायी दवा लेना बेहतर होता है।

नैचुरोपैथी
नैचुरोपैथी में माइग्रेन से बचाव के लिए संतुलित जीवनशैली अपनाने पर जोर दिया जाता है। खाने से पहले अधिक मात्रा में फल, सलाद व अंकुरित भोजन करने की सलाह दी जाती है। गाजर और चुकंदर का रस, नारियल पानी तथा ककड़ी का सेवन इसमें फायदेमंद रहता है। माइग्रेन के रोगियों को अंजीर, आंवला, अनार, सेब, संतरा व धनिया अधिक लेना चाहिए। कुछ दिनों के लिए टीवी, कंप्यूटर से दूरी बनाये रखना आंखों की मांसपेशियों को राहत देता है। नियमित योग प्राकृतिक चिकित्सा का अभिन्न अंग है। इससे तनाव कम होता है। माइग्रेन रोगियों के लिए तीनों समय के भोजन के अलावा छह से आठ घंटे की नींद जरूरी होती है।

शिरोधारा    
माइग्रेन नियंत्रित करने का यह प्रभावी उपाय है। इस प्रक्रिया में रोगी के माथे पर तली में छेद वाले एक बर्तन से जड़ी-बूटियों से बने तेल डाले जाते हैं। माइग्रेन का उपचार करते समय रोगी की नाड़ी की जांच की जाती है। शिरोधारा तनाव को भी कम करती है। माइग्रेन को नियंत्रित करने के लिए शिरोधारा की कम से कम सात सिटिंग लेने की सलाह दी जाती है।

फिजियोथेरेपी 
माइग्रेन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित एक गड़बड़ी है, जिसमें तंत्रिकाएं और रक्त नलिकाएं सम्मिलित होती हैं। फिजियोथेरेपी मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में राहत देती है। माइग्रेन से पीडि़त व्यक्ति पर फिजियोथेरेपी का कैसा असर होगा, यह इस पर निर्भर करता है कि माइग्रेन के दर्द में कौन-सी मांसपेशियां और जोड़ शामिल हैं। जिन लोगों को माइग्रेन के कारण गर्दन में दर्द होता है, उन्हें इससे फायदा पहुंचता है। सर्वाइकल स्पाइन और मांसपेशियों में तनाव बढ़ने की स्थिति में भी फिजियोथेरेपी से राहत मिलती है। हालांकि जिन्हें क्लासिकल माइग्रेन होता है, उन्हें  फिजियोथेरेपी से कोई लाभ नहीं होता।

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नियमित व्यायाम व योग
यह सामान्य धारणा है कि व्यायाम माइग्रेन को ट्रिगर करता है। लेकिन हालिया अनुसंधान सीमित मात्रा में एरोबिक एक्सरसाइज को इसके लिए फायदेमंद मानते हैं। नियमित व्यायाम से शरीर में दर्द नियंत्रक रसायनों  का स्राव होता है, जिसमें एंडोरफिन प्रमुख है। नियमित व्यायाम से दवाओं पर निर्भरता भी कम होती है। जॉगिंग, स्विमिंग, साइकलिंग व नृत्य आदि कर सकते हैं। यदि एक्सरसाइज से दर्द बढ़ रहा है तो इसे न करें। जिन्हें माइग्रेन नहीं है, उनका नियमित व्यायाम करना माइग्रेन की चपेट में आने की आशंका को 50% कम कर देता है।
– प्राणायाम से सभी अंगों में शुद्ध ऑक्सीजन का संचार होता है। खासतौर पर गर्दन और मस्तिष्क की मांसपेशियों पर से तनाव कम होता है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की नेशनल हैडेक फाउडेंशन ने भी अपने शोध में प्राणायाम व योगासनों को माइग्रेन से राहत पाने में प्रभावी माना है। इसी तरह 10 से 15 मिनट कपालभाति का अभ्यास भी माइग्रेन अटैक की आशंका को कम करता है। किसी विशेषज्ञ से सीखने के बाद ही प्राणायाम, अनुलोम-विलोम व भ्रामरी का अभ्यास करें।
– रोज सुबह या काम के दौरान ब्रेक लेते समय तीन मिनट तक सीधे बैठकर गहरे श्वास लेने और छोड़ने से सिरदर्द से निबटने में आसानी होती है व ताजगी महसूस होती है।
– जल नेती माइग्रेन, सिरदर्द व साइनस में राहत देती है। लेकिन इसे किसी योग्य प्रशिक्षक की निगरानी में ही करें।

माइग्रेन अटैक से बचने के लिए 
कोई एक ऐसा तय तरीका नहीं है, जो सिरदर्द या माइग्रेन से पूरी तरह बचा सके, लेकिन कुछ  बातों को अमल में लाकर राहत अवश्य पाई जा सकती है।
– एल्कोहल और कैफीनयुक्त चीजों को कम मात्रा में लें।
– सूर्य की सीधी किरणों के संपर्क में आने से बचें। एसी से तुरंत बाहर न जाएं और न ही बाहर से तुरंत एसी में जाएं। – तेज धूप में बाहर न निकलें। बाहर निकलते समय सिर को ढक कर रखें। सनग्लास व छतरी का इस्तेमाल करें।
– खाने और सोने के समय में बड़े बदलाव न करें।
– अगर कहीं घूमने गए हैं तो भी खाने और सोने का नियमित रुटीन बना कर रखें।
– शरीर में पानी की कमी न होने दें, तरल पदार्थों को भोजन में अधिक शामिल करें।
– एक्सरसाइज करना न छोड़ें। ठंडी और हवादार जगह में व्यायाम करें।   –  खुशबू वाले उत्पाद माइग्रेन व अन्य तरह की एलर्जी को ट्रिगर करते हैं। सनस्क्रीन, मच्छर भगाने वाले स्प्रे, पाउडर व इत्र आदि की खरीदारी एलर्जी को ध्यान में रख कर करें। खुशबू रहित चीजें इस्तेमाल में लाएं।

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क्या है माइग्रेन?     
कुछ समय पहले तक माना जाता था कि माइग्रेन  मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं के फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है। पर हाल के अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि माइग्रेन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी के कारण होता है, जिसकी वजह से न्यूरोट्रांसमीटर का संचरण प्रभावित होता है। खासतौर पर सेेरोटोनिन हार्मोन का असंतुलन हो जाता है।  जब माइग्रेन का दर्द ‘ऑरा’ (दृष्टि संबंधी गड़बड़ी) के बाद शुरू होता है, तब इसे क्लासिकल माइग्रेन कहते हैं। इस स्थिति में सिरदर्द के 10-15 मिनट पहले ऑरा के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। जब सिरदर्द अन्य दूसरे लक्षणों के साथ व कारणों से होता है, तब इसे नॉन क्लासिकल माइग्रेन कहते हैं।  आनुवंशिक कारणों से भी माइग्रेन होता है। उत्तेजना,  गहरा अवसाद , पक्षाघात और मिर्गी भी माइग्रेन के खतरे को बढ़ा देते हैं।