यमुनानगर: नॉन बोर्ड के परीक्षा परिणामों में आधे से ज्यादा बच्चे फेल

ख़बरें अभी तक। यमुनानगर के एक सरकारी स्कूल में परीक्षा परिणाम ने एक बार फिर से सिद्ध कर दिया है कि सरकार भले ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही हो लेकिन परिणाम ढाक के तीन पात ही रहने वाला है। यमुनानगर जिले के बिलासपुर के एकलौते सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल के नॉन बोर्ड के परीक्षा परिणामों में कुल बच्चों में से आधे से अधिक बच्चे फेल आए हैं। अब सवाल यह उठता है कि यदि नॉन बोर्ड में परीक्षा परिणाम का यह हाल है तो इन बच्चों का हश्र बोर्ड की परीक्षाओं में क्या होगा।

सिफारशी अध्यापकों की भर्ती और उनकी लापरवाही के चलते सरकारी स्कूलों में दिनों दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। शिक्षा का व्यावसायीकरण किया जा रहा है। एक ओर सरकार शिक्षा में सुधार के लिए पैसे पानी की तरह बहा रही है, तो दूसरी और जमीनी हकीकत कुछ और ही है। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर के कारण ही लोग निजी स्कूलों में बच्चों का दाखिला दिला रहे हैं।

सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को कई तरह की ड्यूटी करने की जिम्मेदारी लगाने के चलते ऐसे में जब अध्यापक ही स्कूल में नहीं होगा तो वे बच्चों को क्या पढ़ा सकेंगे। वहीं अध्यापक वर्ग बच्चों को पढ़ाने में कम यूनियन बाजी के चक्कर में अधिक रहते हैं जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ता है। बिलासपुर के सरकारी स्कूल में नॉन बोर्ड के आधे से अधिक बच्चे फेल आए हैं नौवीं कक्षा में अनुत्तीर्ण होने को लेकर प्रिंसिपल महोदया का कहना है कि उनके पास स्टाफ की कमी है जिसके चलते ऐसा परिणाम सामने आया है ।

सरकारी स्कूलों में गिरते परीक्षा परिणामों के स्तर को लेकर जहां सरकारें विभिन्न योजनाएं व दिशा निर्देश देती रहती है वही यमुनानगर के बिलासपुर स्कूल के नान बोर्ड का परीक्षा परिणाम अध्यापकों की मेहनत व उनकी कर्तव्य परायणता कि जीती जागती तस्वीर है। इस स्कूल के कुल 212 बच्चों में से 142 के करीब बच्चे अनुत्तीर्ण घोषित किए गए हैं। कार्यवाहक जिला शिक्षा अधिकारी पृथ्वी सैनी कहते हैं कि स्कूलों में बच्चे बढ़ रहे हैं। परीक्षा परिणाम बेहतर आ रहा है लेकिन इस स्कूल का नाम सामने आते ही वह चुप्पी साध लेते हैं और कहते हैं कि ऐसा क्यों हुआ यह जांच का विषय है। एक प्रश्न के उत्तर में उनका मानना है कि स्कूल में अध्यापकों की कमी नहीं है इसके बावजूद वह स्वयं मानते है कि ऐसा परीक्षा परिणाम नहीं आना चाहिए।