जानिए, लोकसभा में कौन सांसद कहां बैठेगा ये कौन तय करता है?

ख़बरें अभी तक। भारतीय संसद जहां हमने अक्सर देखा है कि जिसमें कई लोग विभिन्न कतारों में बैठे दिखते हैं। इन पंक्तियों में आगे की सीटों पर प्रधान मंत्री और अन्य कैबिनेट मंत्री बैठे दिखते हैं, संसद में लोकसभा सदस्यों के बैठने के लिए कुछ नियम होते है, जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे कि कौन कहां बैठता है, सबसे पहले ये बता दें कि कौन कहां बैठेगा इस बात का निर्णय करने का अधिकार लोकसभा के स्पीकर के पास होता है।

लोकसभा में किस पार्टी का सदस्य कहां बैठेगा इस बात का निर्णय किस फ़ॉर्मूले के आधार पर होता है, भारत के संविधान में लोक सभा के लिए सदस्यों की अधिकत्तम संख्या 552 (530 राज्यों से +30 केंद्र शासित प्रदेशों से +2 राष्ट्रपति द्वारा नामित) निर्धारित की गई है. वर्तमान में, सदन की सदस्य संख्या 545 है. ज्ञातव्य है कि 16वीं लोक सभा में बीजेपी के पास वर्तमान में 273 सांसद हैं और कांग्रेस के पास केवल 48 लोकसभा सांसद हैं.

बता दें कि भारत की संसद के तीन अंग है, लोकसभा, राज्य सभा और राष्ट्रपति. लोकसभा को हाउस ऑफ़ पीपल्स भी कहा जाता है. लोकसभा चैम्बर में 550 सदस्यों के लिए बैठने के लिए सीटें लगायी गयी हैं. सभी सीटों को छह ब्लॉक में बांटा गया है, प्रत्येक ब्लॉक में ग्यारह पंक्तियां हैं.

ब्लॉक नंबर 1 जो कि स्पीकर के दायीं ओर है और ब्लॉक नंबर 6 स्पीकर के बाईं ओर है इन दोनों ब्लॉक्स में 97-97 सीटें हैं. बाकी के सभी 4 ब्लॉक्स में 89-89 सीटें हैं. लोकसभा के प्रत्येक सदस्य और मंत्री को लोकसभा में एक सीट आवंटित की जाती है और स्पीकर के दायीं की कुर्सियों पर सत्तारूढ़ दल के सदस्य बैठते हैं जबकि विपक्ष के सदस्य स्पीकर के बायीं ओर की सीटों पर बैठते हैं. लोकसभा का उप-सभापति बायीं ओर पहली पंक्ति वाली सीट पर बैठता है. सभापति के सबसे आगे एक टेबल पर लोकसभा सचिवालय के कर्मचारी बैठते हैं, जो दिन भर की कार्यवाही का लेखा जोखा रिकॉर्ड करते है।

लोकसभा में प्रक्रिया और संचालन (Rules of Procedure and Conduct of Business) के नियम 4 के अनुसार, लोक सभा सदस्य स्पीकर द्वारा तय किये गए नियम के अनुसार ही बैठेंगे। इस सम्बन्ध में स्पीकर को दिशा निर्देश, “अध्यक्ष द्वारा निर्देश” Direction 122(a) नामक क्लॉज़ में दिए गए हैं. यह क्लॉज़, स्पीकर को यह अधिकार देता है कि वह किसी पार्टी की लोकसभा में सीटों के आधार उनके बैठने की जगह तय करे.

जिस पार्टी के पास 5 या उससे ज्यादा सीटें हैं उनके लिए निम्न फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जाता है।

हर पंक्ति में पार्टी के लिए सीटों की संख्या= पार्टी या गठबंधन के पास सीटों की संख्या X उस पंक्ति में कुल सीटों की संख्या

लोक सभा में सीटों की कुल संख्या

यदि हम सबसे आगे की पंक्ति में बीजेपी के लिए आवंटित सीटों की संख्या निकालना चाहें तो..

मान लीजिये कि लोक सभा में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास कुल 330 सदस्य है और सभी ब्लॉक्स में फ्रंट सीटों की संख्या 20 है तो NDA सदस्यों के लिए फ्रंट सीटों की संख्या होगी;

=  330 x 20/ 550 =12

अतः पहली पंक्ति में मौजूद 20 सीटों में से 12 सीटों पर NDA के सदस्य बैठेंगे.

इसी फ़ॉर्मूले के आधार पर कांग्रेस को उसके 48 सदस्यों में से कुछ को पहली पंक्ति में सीटें आवंटित की जायेगीं. अर्थात कांग्रेस को पहली पंक्ति में (48 x 20 /550 =1.75) दो सीटें आवंटित की गयीं हैं. इसी प्रकार तृणमूल कांग्रेस और एआईएडीएमके को दो फ्रंट पंक्ति की सीटें और बीजेडी को एक फ्रंट सीट दी गयी है.

ऊपर दिया गया फार्मूला ही अन्य पंक्ति की सीटों के आवंटन के लिए अपनाया जाता है. इस प्रकार जब फ़ॉर्मूले के आधार पर सीटों का बंटवारा हो जाता है तो सम्बंधित राजनीतिक पार्टी या गठबंधन समूह को इस बारे में बताया जाता है। अब सम्बंधित पार्टी, स्पीकर को बताती है कि उसका कौन सा सदस्य किस जगह पर बैठेगा. इस प्रकार लोकसभा स्पीकर की अनुमति के बाद सदस्य को सीट मिल जाती है।

जिन पार्टियों के पास 5 से कम सदस्य होते हैं या जो इंडिपेंडेंट होते हैं उनके लिए सीटों का आवंटन लोक सभा स्पीकर अपने विवेकाधिकार के आधार पर करता है। कभी-कभी लोक सभा स्पीकर इसका फैसला किसी सदस्य की वरिष्ठता और सामाजिक सम्मान के आधार पर भी करता है।

जैसे आपने देखा होगा कि मायावती, मुलायम सिंह और देवेगौडा को फ्रंट सीट दी जाती है जबकि उनकी पार्टी के पास इतनी सदस्य संख्या नहीं होती है कि उन्हें फ्रंट सीट दी जा सके। तो इस प्रकार अब आपको यह पता चल गया होगा कि लोक सभा में कौन सदस्य किस सीट पर बैठेगा इसका निर्णय किस आधार पर किया जाता है और यह निर्णय कौन करता है।