ख़बरें अभी तक। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक एम नागेशवर राव को कोर्ट की अवमानना का दोषी करार देते हुए, उन्हें दिन भर कोर्ट में बैठने की सजा दी और 1 लाख का जुर्माना भा लगाया है। नागेश्वर राव ने सीबीआई का अंतरिम निदेशक रहने के दौरान शीर्ष अदालत के प्रतिबंध के बावजूद मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले की जांच कर रहे एजेंसी के अधिकारी तत्कालीन अतिरिक्त निदेशक ए.के.शर्मा का तबादलता कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने इसे अदालत की अवमानना करार देते हुए नागेश्वर राव पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायालय ने सजा में कहा कि जब तक आज अदालत चलती रहेगी, नागेश्वर राव अदालत में ही एक कोने में बैठे रहेंगे। इससे पहले नागेश्वर राव अवमानना मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने निजी तौर पर पेश होने का आदेश दिया था। सीबीआई की तरफ से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील रखी कि नागेश्वर राव ने माफी मांगी है और उन्होंने जानबूझकर सुप्रीमकोर्ट की अवमानना नहीं की है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की सख्त टिप्पणियों के बाद अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि अगर आप नागेश्वर राव को कोई सजा सुनाते हैं, तो उनका करियर खराब हो सकता है. वह पिछले 32 साल से काम कर रहे हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हमें ट्रांसफर की सूचना कोर्ट को देने में दो हफ्ते की देरी हुई है, ये सभी गड़बड़ी लीगल एडवाइस की वजह से हुई थी. उन्होंने कहा कि हमारी नजर में लीगल एडवाइस का मतलब यही था कि जो करना है, वो करो. उन्होंने कहा कि हालांकि नागेश्वर राव ने एजेंसी को ट्रांसफर और रिलीव की पूरी जानकारी दी थी।
आपको बता दें कि नागेश्वर राव ने कोर्ट की अवमानना स्वीकार कर माफी मांग ली थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि हम आपकी माफी स्वीकार भी कर लें, तो आपका करियर में स्पॉट लगेगा ही। आपने अवमानना स्वीकार कर ली है, लिहाजा आपको सजा मिलेगी।