आप में हुई बग़ावत शुरु, आप की एक और विधायक को पार्टी ने किया दरकिनार

ख़बरें अभी तक। आम आदमी पार्टी के शुरुआती दौर से ही जिस तरह से नेताओं को बाहर निकालने का सिलसिला जारी है उससे ये साफ लगता है कि अरविंद केजरीवाल को बगावत बर्दाश्त नहीं है. नेताओं को निकालने के लिए केजरीवाल एक खास तरह की रणनीति को अपनाते हैं. पहले बागी को मनाते हैं फिर जब मामला ठंडा हो जाता है तो उसे धीरे-धीरे साइड कर देते हैं.

पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक और तेज-तर्रार युवा नेता अलका लांबा को केजरीवाल साइड करने लगे हैं. अलका लांबा चांदनी चौक जैसे वीआईपी इलाके से विधायक हैं और उनकी एक अपनी पहचान है. यहां भी वजह वही है जो योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण और कुमार विश्वास के साथ थी. मतलब केजरीवाल की सोच से अलग सोच रखना और उसे पार्टी फोरम के सामने पेश करना. इन सभी नेताओं को पार्टी से बाहर निकालने के लिए केजरीवाल ने जिस नीति का उपयोग किया था उसी नीति का उपयोग अब अलका लांबा के साथ हो रहा है. हालांकि कुमार विश्वास को अभी तक पार्टी से बाहर तो नहीं निकाला गया है लेकिन पूरी तरह से साइडलाइन कर दिया गया है.

अलका लांबा का बागी तेवर तब सामने आया जब वो पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी को मिले भारत रत्न को वापस लेने वाले प्रस्ताव के विरोध में केजरीवाल के सामने उतर आईं. अलका की यह बगावत पूरी सरकार के सामने तब आई जब विधानसभा में यह प्रस्ताव पास हो रहा था. अलका इस प्रस्ताव के विरोध में विधानसभा से वॉकआउट कर गईं. जिसके बाद खबर आई कि अलका लांबा से इस्तीफा मांगा गया है. हांलाकि विवाद बढ़ता देख केजरीवाल सरकार ने यू-टर्न मारा और प्रस्ताव पास होने की बात से ही मुकर गई.