अंतरराष्ट्रीय लवी मेले की रौनक मेला समाप्ति के बाद भी नहीं हुई कम

ख़बरें अभी तक। हिमाचल प्रदेश के रामपुर में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले में ड्राई फ्रूट, ऊनी वस्त्रों समेत अन्य पारम्परिक सामान की खरीद दारी जोरों पर है। तिब्बत से आए पशम और बूट व् अन्य सामान की खरीददारी भी खूब हो रही है। दूर दूर से आए लोग किन्नौरी बादाम, चिलगोजा, खुमानी समेत हस्त निर्मित ऊनी शॉल, पट्टू , पट्टी, टोपी, मफलर आदि खरीददारी कर रहे है। ग्रामीण लोगों को भी देव वाध्ययंत्र और कृषि औजार पसंद के मुताबिक मेले में मिलने से खूब खरीदारी हो रही है।

हालांकि अंतरराष्ट्रीय लवी मेला 11 से 14 नवम्बर तक आधिकारिक रूप में मनाया जाता है। लेकिन खरीददारी मेला विधिवत समाप्ति के बाद बढ़ जाती है। ऐसे में मेले की रौनक दिन पर दिन बढ़ रही है। किन्नौर तिब्बत सीमा क्षेत्र खाब के रहने वाले अमीचंद नेगी ने बताया वे स्वयं तिब्बत जा कर तिब्बत से सामान लाते है। पश्मीना, जूते याक का पूंछ और कार्पेट तिब्बत से लाये है और बाकी सेब ड्राई फ्रूट और राजमाह आदि अपना प्रोडेक्ट होता है जो हर साल यहां ला कर बेचते है।बाहर से देखने आई मीणा ऋषि ने बताया वो अंतर्राष्ट्रीय मेले में घूमने आई है। यहां आ कर अच्छा लग रहा है। किन्नौर मार्किट में दोहड़ू, पट्टी, पट्टू, शाल व् ड्राई फ्रूट्स आदि खरीददारी के लिए मिल रहे है, कुल्लू भुंतर से आये डोला राम ने बताया की वे प्रदेश के बड़े मेलो में देव वाध्ययंत्र, पूजा का समान और मूर्तियां बिक्री के लिए ले जाते है। साल भर इन्हे बना कर मेलो में बेचते है। इस से लोगों को भी घर द्वार पर सामान मिलने से सुविधा मिलती है।