सुपर पावर बना गूगल!, …तो क्या हर जेब से वसूले जाएंगे हज़ारों…??

खबरें अभी तक। एंड्रॉयड फोन में एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम यूस किया जाता है और गूगल इसे  अपने एेप फ्री में देता है। यह बात आप भी जानते हैं। गूगल मोबाइल कंपनियों से एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए किसी तरह का चार्ज नहीं करता है।  इसके बदले में मोबाइल कंपनियों को एंड्रॉयड फोन में गूगल के जीमेल, गूगल म्यूजिक, गूगल फोटोज, मैप्स आदि ऐप अनिवार्य से फोन के साथ ही देना होता है।

अभी कुछ महीने पहले ही गूगल पर इसी के लिए 5.1 बिलियन यूरो यानि करीब 344 अरब रुपये का जुर्माना भी लगा था। गूगल पर आरोप था कि उसने एंड्रॉयड फोन में अपने ऐप को जबरदस्ती इंस्टॉल करवाए हैं और गलत तरीके से सर्च इंजन को पहले के मुकाबले मजबूत बनाया है।

वहीं अब गूगल ने अपनी शर्तों में कुछ बदलाव किए हैं। जिसके बाद वह मोबाइल कंपनियों से अपने ऐप के बदले पैसे लेगा। अल्फाबेट गूगल ने मोबाइल कंपनियों से अपने ऐप के लिए प्रति मोबाइल 40 डॉलर यानि करीब 2,900 रुपये वसूल करेगा। गूगल की यह नई शर्त इसी महीने 29 अक्टूबर से लागू हो जाएगी। यानि 29 अक्टूबर के बाद लांच होने वाले सभी एंड्रॉयड स्मार्टफोन और टैबलेट में ऐप के बदले हैंडसेट निर्माता कंपनियों को पैसे देने होंगे।

हालांकि गूगल की यह सभी शर्तें सिर्फ नई यूरोपियन देशों में ही लागू होगीं। अभी भारत में गूगल ने ऐसा कोई एलान नहीं किया है। यह फीस अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग भी हो सकती है। गूगल प्ले-स्टोर, जीमेल, गूगल मैप्स जैसे ऐप के लिए पैसे लेने के बदले गूगल मोबाइल निर्माता कंपनियों को विज्ञापन से होने वाली कमाई का एक हिस्सा देगा। गूगल अपने क्रोम ब्राउजर जैसे ऐप में विज्ञापन दिखाएगा।

बता दें कि इसी साल जुलाई में गूगल पर यूरोपियन यूनियन ने 5.1 बिलियन यूरो यानि करीब 344 अरब रुपये का जुर्माना लगाया था। जो कि गूगल के इतिहास में उसपर लगने वाला अबतक का सबसे बड़ा जुर्माना था। गूगल के खिलाफ अप्रैल 2015 में फेयरसर्च’ नाम के एक बिजनेस ग्रुप ने यूरोपियन यूनियन में शिकायत की थी और कहा था कि गूगल अपने ऐप के जरिए एंड्रॉयड स्मार्टफोन में अधिकार जमा रहा है। इस ग्रुप में नोकिया, माइक्रोसॉफ्ट और ओरेकल जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।