पीजीआई में धांधली के आरोप में निदेशक सस्पेंड, स्वास्थ्य मंत्री ने जारी किए आदेश

खबरें अभी तक। अपने पैसों से विदेश में जाकर डॉक्टर साहब गुलछर्रे उड़ाएं तो अच्छी बात है…लेकिन डॉक्टर साहब तो बड़े कंजूस निकले वो भला अपने अपने पैसे कैसे उड़ा सकते हैं…उन्हें तो गरीबों की जेब पर डाका डालने की आदत है. और दवाई कंपनी से मिलीभगत करने की आदत है. और इस आदत पर वो सस्पेंड भी हो चुके हैं.

जब डॉक्टर को विदेशों की याद आने लगे…सरकारी वेतन के बाद भी रिश्वत लेने की आदत लगने लगी. और उसके दिल से कानून का खौफ ही खत्म हो जाए तो समझो कि उसकी डॉक्टर की डिग्री अवैध तरीके से पैसा कमाने का जरिया बन गई है. और अगर ऐसे ख्याल आने लगे तो आप पीजीआई रोहतक का रूख कीजिए। जहां डॉक्टर तो छोड़िए उस अस्पताल के निदेशक ही ऐसे हैं कि उन्हें फ्री में विदेश जाने की आदत है. लाखों की सैलरी लेने के बाद भी पेट नहीं भरता तो फार्मा कंपनियों के आगे हाथ फैला देते हैं और फिर उन कंपनियों की रहम होती है तो ये उनके पैसे से टिकट करवाकर विदेश घूम आते हैं.

उन टिकटों को देख लीजिए. डॉक्टर नित्यानंद के नाम से कटी हुई है. जिसका भुगतान फॉर्मा कंपनी ने किया है. लेकिन ये भुगतान फ्री का नहीं है. इसके पीछे भी कहानी है और वो कहानी ये है कि निदेशक साहब मेडिकल विभाग के एचओडी के साथ मिलकर कुछ खास कंपनी की दवाईंया लिखते हैं. जो अस्पताल में तो गलती से भी नहीं मिलती. औऱ बाहर महंगे रेट पर मिलती है.

तो मरीज का जेब काटा जाता है औऱ डॉक्टर साहब का जेब भरा जाता है. वो भी ऐसे कि जब आप बाहर से दवाई लेते हैं तो डॉक्टर साहब को कमीशन मिलता है.. अब भला कोई कमीशन क्यों छोड़े. और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने इन्हें सस्पेंड करने के आदेश जारी कर दिए.

आरोपों पर सफाई डॉक्टर नित्यानंद ने भी दी है…वो भी सुन लीजिए।..लेकिन अब उस सफाई का कोई मतलब नहीं रह जाता क्योंकि दस्तावेज झूठ नहीं बोलते. वैसे डॉक्टर साहब की सफाई भी सुन लीजिए.

लेकिन साहब को ये भी पता है कि सफाई देने से काम नहीं चलता. आरोपों में सच्चाई की जांच तो होगी ही. खैर अभी सस्पेंड हो गए हैं तो हो सकता है अक्ल आ जाए. लेकिन गरीब मरीजों की जेब पर डाका डालने वाले, नियम कानूनों का उल्लंघन करने वाले औऱ गरीबों की जेब काटकर ऐश करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ जांच औऱ कार्रवाई जरूरी है.