खबरें अभी तक। बिहार की राजनीति में आज बड़ा धमाका होने जा रहा है। गूंज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रेसीडेंट अमित शाह तक जाएगी। धमाका ये है कि देश के सबसे बड़े एलेक्शन स्ट्रेटजिस्ट प्रशांत किशोर सीधे जदयू में शामिल होने जा रहे हैं। मतलब अब वह न सिर्फ स्ट्रेटजी तय करेंगे। बल्कि ग्रास रुट पॉलिटिक्स भी करेंगे। नीतीश कुमार के समक्ष जदयू की सदस्यता ग्रहण करने को प्रशांत किशोर, जिन्हें पीके भी कहा जाता है, पटना आ चुके हैं।
आज 16 सितंबर को ही जदयू की कार्यकारिणी की बैठक भी पटना में हो रही है। इस बैठक के पहले ही प्रशांत किशोर जदयू में शामिल हो जायेंगे। फिर वे नीतीश कुमार के साथ बैठक में हिस्सा लेंगे। प्रशांत किशोर की राजनैतिक इंट्री के बहुत मायने-मतलब हैं। बहुत सोच-समझ कर नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को साथ लिया है।
गौर करने की बात ये है कि सितंबर के पहले ही हफ्ते में प्रशांत किशोर की संस्था का पोलिटिकल सर्वे आया था। जिसमें 2019 के चुनाव के नरेंद्र मोदी को प्रधान मंत्री पद का सबसे पॉपुलर कैंडिडेट माना गया था। बाकी सब दूसरे सर्वे के आंकड़ों में बहुत दूर थे।
प्रशांत किशोर मूल रुप से बिहार के ही बक्सर के रहने वाले हैं। 2014 में नरेंद्र मोदी के चुनावी कैंपेन का सारा ताना-बुना प्रशांत किशोर ने ही बुना। लेकिन केंद्र में मोदी सरकार बनते ही अमित शाह से खटपट हो गई। फिर वे भाजपा से दूर चले गए।
2015 में भाजपा से बदला साधने को वे नीतीश कुमार के साथ हो लिए हैं। बिहार में महागठबंधन बना। चुनावी स्ट्रेटजी प्रशांत किशोर ने ही तैयार की है। परिणाम, बिहार विधान सभा के चुनाव में एनडीए गठबंधन को करारी हार मिली। इसके बाद नीतीश कुमार ने उन्हें मंत्री पद का दर्जा देते हुए अपना सलाहकार भी बनाया है। बाद में, वे कांग्रेस की स्ट्रेटजी तय करने को यूपी चले गए। लेकिन वहां सफलता नहीं मिली है। कहा जाता है कि राहुल गांधी ने पीके के फार्मूले पर ठीक से काम नहीं किया।
कुछ महीने पहले प्रशांत किशोर के घर में गमी हुई थी। वे बक्सर आए हुए थे। तभी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आया था। दिल्ली आकर मिलने को कहा गया था। दिल्ली में प्रशांत किशोर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मिले भी थे। लेकिन नरेंद्र मोदी से अधिक संपर्क नीतीश कुमार से रहा। पटना और दिल्ली में मुलाकात होती रही। परिणाम आज सीधे जदयू में शामिल हो गए पीके।